नीति आयोग : यह मानव पूंजी क्रांति है

Last Updated 16 Jul 2025 01:32:15 PM IST

भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में प्रगति का सही मापदंड सिर्फ जीडीपी के आंकड़ों या बुनियादी ढांचे की उपलब्धियों में नहीं है, बल्कि इस बात में है कि कोई राष्ट्र अपने लोगों का कितने अच्छे तरीके से पोषण करता है। मानव पूंजी-अर्थात हमारी शिक्षा, कौशल, स्वास्थ्य और उत्पादकता-सिर्फ एक आर्थिक संपत्ति नहीं है, बल्कि एक नैतिक अनिवार्यता भी है।


नीति आयोग : यह मानव पूंजी क्रांति है

पिछले दस वर्षो में, भारत के प्रमुख नीति थिंक टैंक, नीति आयोग के नेतृत्व में एक शांत लेकिन जबरदस्त क्रांति ने आकार लिया है, जिसने देश के सबसे मूल्यवान संसाधन अपने नागरिकों में निवेश करने के तरीके को एक नया रूप दिया है।

एक ऐसे देश में जहां 65 फीसद से ज्यादा आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है, जनसांख्यिकी लाभांश एक पीढ़ी में एक बार मिलने वाला अवसर है, लेकिन इस युवा आबादी का विशाल आकार बहुत बड़ी जिम्मेदारी लेकर आता है। चुनौती युवा ऊर्जा को आर्थिक वृद्धि और राष्ट्रीय विकास के लिए एक कारक में बदलने की है। यहीं पर नीति आयोग एक दूरदर्शी उत्प्रेरक के रूप में उभरा है-जो न केवल आज की प्रगति के लिए बल्कि कल की समृद्धि के लिए भी एक रोडमैप तैयार कर रहा है। पिछले दशक में, नीति आयोग एक थिंक टैंक से एक सुधारवादी इंजन और क्रियान्वयन भागीदार के रूप में उभरा है, जो डेटा, सहयोग और मानव-केंद्रित डिजाइन से समर्थित साहसिक विचारों के लिए जाना जाता है। 

इसने नीति निर्माण को शीर्ष-स्तरीय अभ्यास से राज्यों, निजी भागीदारों, वैश्विक संस्थानों और नागरिक समाज के साथ सह-निर्माण की एक गतिशील प्रक्रिया में बदल दिया है। इसकी ताकत सिर्फ  योजना बनाने में नहीं है, बल्कि सुनने में है-और उन अंतर्दृष्टि को कार्रवाई में बदलने में है।  शिक्षा, जो मानव पूंजी का आधार है, ने इसके मार्गदशर्न में पूरी तरह से पुन: कल्पना की साक्षी रही है। यह मानते हुए कि केवल अधिगम ही पर्याप्त नहीं है, नीति आयोग ने गुणवत्ता और समानता पर जोर दिया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, जहां इसने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, ने एक नये युग की शुरुआत की-रटने की शिक्षा से आलोचनात्मक सोच, लचीलेपन और व्यावसायिक एकीकरण की ओर बदलाव। इसने प्रारंभिक बाल्य शिक्षा, मातृभाषा में शिक्षा और विषयों के बीच निर्बाध पारगमन पर जोर दिया। अटल नवाचार मिशन जैसी पहलों के माध्यम से, इसने जवाबदेही और कल्पनाशक्ति अर्थात दोनों को सुनिश्चित किया -10,000 से अधिक अटल टिंकरिंग लैब्स में नवाचार को शामिल किया जो अब पूरे देश भर में फैले हुए हैं। 21वीं सदी के लिए भारत के युवाओं को कौशल प्रदान करना इसके मिशन का एक और आधारशिला रही है।

कौशल भारत मिशन को समर्थन प्रदान करने से लेकर आकांक्षी जिला कार्यक्रम के माध्यम से वंचित जिलों के केंद्र तक व्यावसायिक कार्यक्रमों को पहुंचाने तक, नीति आयोग ने क्लास रूम और आजीविका के बीच की खाई को पाटने में मदद की है। स्किल इंडिया मिशन के तहत प्रौद्योगिकी, उद्योग संबंधों और मांग-संचालित पाठ्यक्रम को मिलाकर तैयार की गई पहलों के माध्यम से 1.5 करोड़ से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। यह केवल प्रशिक्षण के प्रयोजन से नहीं था बल्कि इसने क्षेत्रीय जरूरतों और डिजाइन किए गए कार्यक्रमों का मानिचतण्रकिया जिसने भारत के ग्रामीण और शहरी युवाओं के लिए समान रूप से वास्तविक आर्थिक अवसर खोले हैं। समानांतर में, इसने एक गतिशील, समावेशी श्रम बाजार का समर्थन किया।

इसने 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार सरलीकृत संहिताओं- मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंधों और व्यावसायिक सुरक्षा को तर्कसंगत बनाने का समर्थन किया। इन  सुधारों ने श्रमिकों की सुरक्षा के साथ नियोक्ता अनुकूलन को संतुलित किया। नीति आयोग ने वास्तुकार को प्रतिक्रियाशील उपचार से सक्रिय लोक कल्याण की ओर स्थानांतरित करने में मदद की। नीति आयोग द्वारा समर्थित और निगरानी की गई प्रमुख आयुष्मान भारत योजना ने 50 करोड़ से अधिक भारतीयों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया, जबकि 1.5 लाख से अधिक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों ने जमीनी स्तर पर प्राथमिक देखभाल की। कोविड-19 महामारी ने भारत की स्वास्थ्य प्रणाली के प्रबंधन की अभूतपूर्व परीक्षा ली जैसा पहले कभी नहीं हुआ था। इस संकट में, नीति आयोग मजबूती से खड़ा रहा- संक्रमण पैटर्न को मॉडल करने, न्यायसंगत चिकित्सा संसाधन आवंटन सुनिश्चित करने और टेलीमेडिसिन के लिए ई-संजीवनी जैसे प्लेटफार्मो को रोल आउट करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर के साथ साझेदारी की। महामारी के बाद के दृष्टिकोण ने न केवल स्वस्थ होने पर जोर दिया, बल्कि तत्परता पर भी जोर दिया-सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन संवर्गों और आधुनिक डिजिटल स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी तंत्र पर जोर दिया।

इन क्षेत्रों के अलावा, नीति आयोग उद्यमिता और नवाचार के लिए एक प्रकाशस्तंभ साबित हुआ है। स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया और अटल नवाचार मिशन जैसे कार्यक्रमों ने विचारों के फलने-फूलने के लिए एक उर्वर ईकोसिस्टम का निर्माण किया। आज हजारों स्टार्ट-अप्स फिनटेक, एजटेक, एग्रीटेक, हेल्थ-टेक और स्वच्छ ऊर्जा में सफल हो रहे हैं क्योंकि उन्हें नीतिगत समर्थन, इंक्यूबेशन और महत्त्वपूर्ण चरणों पर मार्गदशर्न मिला। ये केवल व्यवसाय नहीं हैं; ये नौकरी पैदा करने वाले और समस्याओं को हल करने वाले हैं, जो एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत में योगदान दे रहे हैं। किंतु इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि इस बात में निहित है कि इसने साक्ष्य आधारित नीति निर्माण की परम्परा को संस्थागत बनाया है। 

नीति आयोग ने विकास के बारे में चर्चा को आगे बढ़ाया है, हमें याद दिलाया है कि सच्ची प्रगति को सबसे ऊंची इमारतों या सबसे बड़ी फैक्टरियों से नहीं मापा जाता है, बल्कि लोगों की ताकत, स्वास्थ्य और गरिमा से मापा जाता है। ऐसा करके, यह एक थिंक टैंक से कहीं बढ़कर बन गया है। यह एक युवा, महत्त्वाकांक्षी भारत की नब्ज बन गया है-एक ऐसा भारत जो सपने देखता है, हिम्मत करता है और कार्य को सम्पूर्ण करता है। और इस कहानी के केंद्र में यह शांत विश्वास है कि जब आप लोगों में निवेश करते हैं, तो आप न केवल एक बेहतर अर्थव्यवस्था बनाते हैं, बल्कि एक बेहतर राष्ट्र भी बनाते हैं।

(लेखक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; योजना मंत्रालय एवं राज्यमंत्री, संस्कृति मंत्रालय हैं। लेख में विचार निजी हैं)

राव इन्द्रजीत सिंह


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment