नासमझ बंगाल सरकार

Last Updated 13 Apr 2020 12:43:48 AM IST

पूर्ण बंदी के दौरान पश्चिम बंगाल में ‘क्रमिक छूट’ दिए जाने का ममता बनर्जी का फैसला निहायत ही बेवकूफाना है।


नासमझ बंगाल सरकार

जब राष्ट्रीय स्तर पर वैश्विक कोरोना महामारी से निपटने के लिए जब पूरे देश में 21 दिन का लॉक-डाउन करने का निर्णय लिया गया है, तो ऐसे समय में बंगाल सरकार की हड़बड़ाहट कहीं से भी समझदारी भरा फैसला नहीं कहा जा सकता। ‘क्रमिक छूट’ के दौरान न केवल धार्मिक आयोजन हुए बल्कि राशन भी बांटे गए। स्वाभाविक तौर पर यह सब कुछ एकांत में नहीं हुआ होगा।

यानी भीड़ भी जुटी होगी। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिग का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखा गया। जबकि इस भयावह बीमारी को खत्म करने का एकमात्र हथियार सामाजिक दूरी और साफ-सफाई ही है। लिहाजा यह सवाल तो उठता ही है कि प. बंगाल सरकार को ऐसी क्या जल्दबाजी थी कि उसने केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों की अवहेलना की? हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बंगाल सरकार से इस मसले पर जवाब मांगा है। न केवल जवाब तलब किया है वरन पूरे मामले में आपत्ति भी दर्ज कराई है।

कम-से-कम बंगाल सरकार को केंद्र सरकार के पूर्णबंदी की मियाद पूरा होने तक का इंतजार तो करना ही चाहिए था। उसकी जल्दबाजी से कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा काफी बढ़ गया है। वैसे ममता बनर्जी का केंद्र सरकार से रार का यह पहला मामला नहीं है। चाहे वह राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच करने का मामला हो, कश्मीर से धारा 370 हटाने का मसला या फिर एनआरसी का विवाद। ऐसे कई मुद् दे हैं, जिनपर ममता का स्टैंड केंद्र सरकार के बिल्कुल उलट रहा है।

यही वजह है कि कई बार दोनों के बीच विवाद से केंद्र-राज्य संबंध और दोनों के अधिकारों को लेकर व्यापक बहस भी हुई है। लेकिन इस समय लॉक-डाउन का उल्लंघन देश के साथ गद्दारी ही मानी जाएगी। कई सारे मुल्कों की बेबस स्थिति से हम वाकिफ हैं। हम अगर आज उन देशों के मुकाबले सुरक्षित हैं या हमारे यहां मौत का आंकड़ा बहुत ज्यादा नहीं है तो इसके पीछे लॉक-डाउन का सख्ती से पालन करने का अहम योगदान है। बंगाल सरकार को यह बात जितनी जल्दी समझ में आ जाए उतना ही बेहतर होगा। केंद्र को भी सिर्फ जवाब मांगने का इंतजार नहीं करना चाहिए बल्कि इनके खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करना चाहिए।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment