संकट में दान की मिसाल
अनेक संकटों में भारत ने अंतर्कलह और तू-तू,मैं-मैं की छवि के विपरीत त्याग, दान और एकता की मिसाल पेश कर दुनिया को सीख दी है।
संकट में दान की मिसाल |
कोरोना महामारी के प्रकोप में कुछ विध्नसंतोषियों को छोड़ दें तो फिर यही शानदार और उत्साहवर्धक तस्वीर निर्मिंत हो गई है। प्रधानमंत्री द्वारा पीएम केयर फंडिंग में दान की अपील के साथ ही ऐसा लग रहा है मानो भारत चारों ओर दानवीरों से भरा पड़ा है। हर कॉरपोरेट घराना जितनी मात्रा में दान दे रहा है उसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो। इतनी बड़ी-बड़ी राशियों के दान का इतिहास आजाद भारत में कम ही रहा है।
दो चार घराने तो कर देते थे, लेकिन इस बार सब एक से आगे बढ़कर ज्यादा राशि लेकर सामने आ रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे एक घराना दूसरे की प्रतीक्षा करता है कि वह कितना दान देता है। कॉरपोरेट ने इसके अलावा भी कई प्रकार के कार्यों की घोषणाएं की हैं। केवल कॉरपोरेट ही नहीं, फिल्मी हस्तियों, दूसरे आइकॉन, अन्य पेशेवर लोग भी क्षमता के अनुसार और कई बार क्षमता से भी ज्यादा दान दे रहे हैं। यह किसी भी भारतीय का उत्साहवर्धन करने वाला है।
संपन्न और नामी-गिरामी लोगों के अलावा आम आदमी भी उतनी ही संख्या में आगे आ रहे हैं। कोई अपने पूरे वर्ष का पेंशन दान कर रहा है, तो कोई तीर्थयात्रा के लिए बचाए धन तो किसी ने हजयात्रा के लिए जमा पूरा धन दान में दे दिया। वस्तुत: दान हमारे संस्कार में है। दान की ऐसी परंपरा और इतिहास का उदाहरण दूसरे देशों में उपलब्ध नहीं जैसा हमारे यहां हैं।
यह इस बात का भी प्रमाण है कि कोरोना संकट में पूरा देश सरकार के साथ खड़ा है। इससे यह विश्वास पैदा होता है कि संकट के समय देश में सरकार को भविष्य में अकेला नहीं छोड़ा जाएगा। जब-जब संकट आया है भारतीय समाज ने अपना यही चरित्र पेश किया है। 1965 के युद्ध के समय माताओं-बहनों ने अपने आभूषण तक दान में दे दिए थे। ऐसे लोग आज भी हैं।
वे दिन-रात सरकार को कोसने वालों तथा नरेन्द्र मोदी को खलनायक बनाने वालों से बिल्कुल अप्रभावित हैं। यही हमारी अंत:शक्ति है जो विश्वास पैदा करती है कि चाहे संकट कैसा भी हो भारत उससे पार पा ही लेगा। बहरहाल, प्रधानमंत्री ने वायदा किया है कि दान के सारे पैसे से देश में केवल कोरोना ही नहीं, स्वास्थ्य की आधारभूत संरचना को मजबूत किया जाएगा।
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