कंपनियां दें पूरा बकाया

Last Updated 20 Mar 2020 04:22:30 AM IST

उच्च्तम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) या समेकित सकल राजस्व मसले पर जिस तरह का कड़ा रुख अपनाया है, उसके बाद समस्या ज्यादा गंभीर हो गई है।


कंपनियां दें पूरा बकाया

न्यायालय ने साफ कहा है कि किसी तरह का बहाना या तर्क नहीं चलेगा, कंपनियों को पूरे बकाए का भुगतान करना ही होगा। दरअसल, दूरसंचार कंपनियों ने पिछले साल 24 अक्टूबर के फैसले के बाद एक साथ इतनी ज्यादा राशि देने में असमर्थता जताई थी तथा राजस्व के मामले पर सरकार से पुनर्विचार का आग्रह किया था। अनेक आर्थिक विशेषज्ञों ने भी कहा था कि राजस्व की वर्तमान प्रक्रिया में एक कंपनी को छोड़कर शेष के बंद होने की स्थिति पैदा हो जाएगी।

सरकार ने कंपनियों की मांगों तथा विशेषज्ञों के सुझाव पर तत्काल बकाया राशि बीस वर्ष में चुकाने का प्रस्ताव न्यायालय में रखा था। साथ ही, राजस्व मूल्यांकन में बदलाव करते हुए स्वनिर्धारण की एक प्रणाली विकसित करने की बात कही थी। किंतु न्यायालय ने कहा है कि स्पष्ट निर्णय के बावजूद दोनों पक्ष एजीआर बकायों के स्वनिर्धारण और पुनर्निधारण के निर्थक प्रयास कर रहे हैं।  न्यायालय का रु ख इतना कड़ा था कि इससे संबंधित समाचार पत्रों में छपे लेख पर भी उसने चेतावनी दे दी।

लेखों को न्यायालय द्वारा फर्जी कहना तथा आगे ऐसा होने पर दूरसंचार कंपनियों के प्रबंध निदेशक को जिम्मेवार ठहराने का आदेश देकर एक प्रकार से रियायत या फैसले में बदलाव के सारे रास्ते बंद कर दिए। बकायों के स्वनिर्धारण की अनुमति देने वाले दूरसंचार विभाग के सचिव व डेस्क अफसर को भी तलब करने की चेतावनी दे दी। हालांकि तीन सदस्यीय पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा 20 वर्षो में एजीआर बकाया चुकाने की इजाजत देने के प्रस्ताव पर दो सप्ताह बाद विचार करने की बात कही लेकिन इसके साथ यह भी टिप्पणी की कि 20 वर्ष की समय सीमा तार्किक नहीं है।

तो न्यायालय के आदेश के अनुसार दूरसंचार कंपनियों को समस्त बकाया रकम चुकानी होगी। समस्या यह है कि भारत में जीओ के अलावा दो निजी कंपनियां बची हैं जो घाटे में हैं। इसमें बीच का कोई रास्ता निकाला जा सकता था, लेकिन पहले सरकार ने ही बकाए राजस्व को ब्याज सहित वसूले जाने का तर्क दिया था। उसके आधार पर न्यायालय ने फैसला दिया। इसमें कैसे दूरसंचार कंपनियों को काम करने योग्य रहने दिया जाए तथा राजस्व भी मिले इसका रास्ता निकालना जटिल प्रश्न बन गया है।



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