हिंसा पर न हो राजनीति
दिल्ली की स्थिति में दिख रहा सुधार राहतकारी है। उम्मीद करनी चाहिए कि राजधानी में स्थिति फिर नियंत्रण से बाहर नहीं होगी।
हिंसा पर न हो राजनीति |
ढाई दिनों तक दिल्ली ने हिंसा, आगजनी और उपद्रव के जो डरावने दृश्य देखे उन्हें आसानी से भुलाया नहीं जा सकता। जो चले गए या जो घायल असपतालों में पड़े हैं, उनके लिए किसे दोषी माना जाए? यह ऐसा प्रश्न है जिसका निश्चयात्मक उत्तर देना आसान नहीं होगा। एक निष्कर्ष तो यही है कि दिल्ली पुलिस ने जिस तरह 25 फरवरी को स्थिति संभाली, अगर वही तेवर और तैयारी उसने पहले दिखाई होती तो इतनी बुरी हालत नहीं होती।
जगह-जगह दिल्ली हिंसा और आग में झुलसती रही और पुलिस इसे रोक पाने में लाचार थी। हिंसा के शिकार क्षेत्रों में लोगों की आम शिकायत है कि अगर समय पर पुलिस वहां पहुंचती तो धन-जन की क्षति को रोका जा सकता था। उत्तर पूर्वी दिल्ली के अनेक दृश्य मचाई गई विनाशलीला की दर्दनाक कहानी बयान कर रहे हैं। हालांकि वर्तमान समय दोषारोपण की बजाय शांति और सद्भावना के लिए काम करने का है।
प्रशासन, राजनीतिक दल, सामाजिक संगठनों..की प्राथमिक जिम्मेवारी अभी यही है कि लोगों के अंदर व्याप्त भय दूर हो तथा वे दैनिक क्रियाकलाप को सामान्य तरीके से अंजाम देने की स्थिति में आएं। इसके लिए सुरक्षा के प्रति विश्वास के साथ लोगों के बीच जाकर काम करना होगा। दिल्ली पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की मौजूदगी से सुरक्षा के प्रति विश्वास पैदा हो रहा होगा। चिह्नित दंगाइयों की गिरफ्तारी तथा कानूनी कार्रवाई का भी इसमें योगदान देगा। अगर राजनीतिक दल एक दूसरे पर दोषारोपण में ही अपनी ऊर्जा का अपव्यय करते रहेंगे तो इससे माहौल कतई अच्छा नहीं होगा। गंदी राजनीति ने पहले ही माहौल खराब करने में भूमिका निभाई है।
हमारी अपील है कि राजनीतिक दल इस समय आपसी द्वेष को परे रखकर एक स्वर से शांति के लिए आगे आएं। किसी एक दल या नेता को पूरी हिंसा के लिए दोषी ठहराना न उचित है, न इससे किसी का भला होने वाला। एक आरोप के जवाब में दूसरा आरोप और फिर विष-वमन का यह सिलसिला चल निकलेगा। सच तो यही है कि दिल्ली की स्थिति बिगड़ने का साफ संकेत मिलने लगा था, लेकिन किसी दल ने आगे आकर शांति के लिए काम नहीं किया। कम से कम अभी जो मौका मिला है, उसका सदुपयोग करते हुए दिल्ली को बचाने, लोगों के घावों पर मरहम लगाने तथा बढ़ी हुई दूरियों को कम करने में भूमिका निभाएं।
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