उफ! ये प्रदूषण

Last Updated 27 Feb 2020 05:43:52 AM IST

प्रदूषण का स्तर दिल्ली-एनसीआर में कितना भयावह है, यह गाहे-बगाहे ज्ञात होता रहता है। ताजा आंकड़ा भी इसी की तस्दीक करता नजर आता है।


उफ! ये प्रदूषण

वैश्विक वायु गुणवत्ता रिपोर्ट-2019 में बताया गया है कि दुनिया के 30 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में भारत के 21 शहर हैं। इसी रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि गाजियाबाद दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है। और दिल्ली सबसे प्रदूषित राजधानी। चिंता की बात यह है कि सुधार के बावजूद दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब है। हाल के वर्षो में भारत में पर्यावरण को लेकर संजीदगी देखी गई है। राजनीतिक दलों में भी प्रदूषण खत्म करने को लेकर इच्छाशक्ति नजर आई है। इसके बावजूद प्रदूषण को जड़ से नेस्तनाबूद करने को अभी कई बरस लगेंगे। इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विश्व का पांचवां सबसे प्रदूषित देश है। एनसीआर में हालात इसलिए ज्यादा डराने वाले हैं क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पीएम 2.5 में हर साल 500 फीसद की कमी लाने का जो लक्ष्य रखा है, भारत उस पैमाने पर विफल दिखता है। और इसमें मात्र 20 फीसद की ही कमी आ पाई है। यानी अभी दिल्ली काफी दूर है। लिहाजा स्वच्छ हवा अभी दिल्ली और आसपास के बाशिंदों के लिए सपना ही बना रहेगा। ऐसा नहीं है कि प्रदूषण कम करने की कवायद नहीं हुई।

सरकार से लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने आमजन को साफ-सुथरी हवा उपलब्ध कराने के जतन किए, मगर नतीजा वही ‘ढाक के तीन पात’ रहा। हां, इस असफलता की वजह जाननी इसलिए जरूरी है क्योंकि प्रदूषण का मसला अब दरअसल मानवाधिकार का मुद्दा बना हुआ है। हमें उन कारकों की पहचान करनी होगी जिसकी वजह से दिल्ली गैस का चेंबर बन जाता है। साथ ही उन्हें खत्म करने के उपाय सख्ती से लागू करने होंगे। प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग-धंधों को हटाना होगा, साफ हवा के टॉवर लगाने होंगे, पराली और कूड़ा जलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी और जनता को जागरूक करना होगा। नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) जिसकी घोषणा सरकार ने पिछले साल की, उसका दायरा बढ़ाना होगा। हवा को साफ करने के लिए क्षेत्रवार लक्ष्य तय करने की जरूरत है। यकीनन प्रदूषण रहित माहौल देश की जरूरत है। इसे हासिल किए बिना देश की तरक्की की बात बेमानी ही कही जाएगी।



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