गांधी के बहाने
भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भले ही महात्मा गांधी को अपने सम्मान के दायरे में ले आया हो और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बार-बार भले ही गांधी की प्रशंसा करते हों या उनके आदशरे को अनुकरणीय बताते हों या उन्हें महामानव के रूप में निरूपित करते हों लेकिन भाजपा के समर्थकों में एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जिसे गांधी फूटी आंख नहीं सुहाते।
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उनकी नजर में गांधी का सबसे बड़ा अपराध पाकिस्तान को बनने से न रोक पाना था और पाकिस्तान बन जाने के बाद भी पाकिस्तान और मुसलमानों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण भाव रखना था। इसमें कोई संदेह नहीं है कि बहुसंख्यक हिंदू देश के विभाजन से आहत थे। लेकिन जब जिन्ना के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग के कारण देश का विभाजन अपरिहार्य हो गया तो इन हिंदुओं ने इसे नियति मानकर स्वीकार कर लिया और बाद में भारत के धर्मनिरपेक्ष तंत्र को भी अपना समर्थन दे दिया, लेकिन हिंदुओं की बहुत बड़ी संख्या ऐसी है जो विभाजन को कभी भी पचा नहीं सकी और गांधी को भी कभी माफ नहीं कर सकी।
साध्वी प्रज्ञा और अनंत हेगड़े जैसे भाजपा के नेता ऐसे ही लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो गांधी को कभी माफ नहीं कर सके। लेकिन भाजपा के लिए गांधी मजबूरी हैं क्योंकि बिना गांधी के वह न तो अपना उदारपंथी चेहरा प्रस्तुत कर सकती है, और न ही उदार हिंदुओं के बीच अपनी पैठ ही गहरी कर सकती है। हालांकि दक्षिण अफ्रीका में गांधी के विचारों को लेकर नये सिरे से विमर्श चल रहे हैं।
पिछले साल अफ्रीका में सोशल साइट ट्विटर पर ‘गांधी मस्ट फॉल’ हैशटैग ट्रेंडिंग टॉपिक बन गया था। जोहनसबर्ग में गांधी की प्रतिमा पर सफेद रंग फेंका गया था। यहां की अेत आबादी के एक तबके ने महात्मा गांधी पर नस्लवादी होने का आरोप लगाकर उन्हें नायक मानने से इनकार कर दिया था। लेकिन बहुत शीघ्र ही वहां के लोगों ने गांधी मस्ट फॉल को एक दुस्वप्न मानकर भुला दिया।
लेकिन भारतीय समाज के लिए गांधी आज भी पूज्यनीय हैं, इसलिए आज के दौर में अनंत कुमार हेगड़े जैसा नेता भाजपा का नुकसान करते हैं। भाजपा ऐसे लोगों के विचार भले न बदल सके लेकिन इन पर अपनी जुबान पर नियंत्रण रखने का दबाव तो बना ही सकती है। वैसे भी आज की तारीख में देश की शीषर्स्थ पार्टी होने और केंद्र की सत्ता में होने के कारण उससे इस तरह की अपेक्षा भी है।
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