निंदनीय घटना

Last Updated 03 Feb 2020 12:31:03 AM IST

जामिया के बाद शाहीन बाग धरनास्थल के पास गोलीबारी निश्चय ही पहली नजर में डराती है। गोली चलाना हर हाल में निंदनीय है।


निंदनीय घटना

यह अपराध है और ऐसे व्यक्ति पर कानून के तहत कार्रवाई होगी। किंतु कानूनी कार्रवाई की सीमा है। गोली चलाने के पीछे की सोच को कमजोर करने की आवश्यकता है। तमंचे से गोली चलाने वाले युवक कपिल कह रहा है कि वह दूध का कारोबार करता है और इस धरने के कारण उसको लगातार घाटा हो रहा है।

उसने वहां धरना खत्म करने तथा सड़क खाली करने का नारा भी लगाया। यहां तक उसकी बात समझ में आती है। पर इसका उत्तर तमंचा लेकर गोली चलाना नहीं हो सकता। शाहीन बाग धरना से निस्संदेह, लाखों लोगों को परेशानियां उठानी पड़ रहीं हैं। उस क्षेत्र का छोटा या बड़ा व्यापारी वर्ग भी बुरी तरह प्रभावित है। वैसे भी संख्या के बल पर धरना के लिए सड़क पर कब्जा कर लेना गैरकानूनी है।

इस तरह यदि लोग सड़कों पर धरना देने लगे तो फिर पूरे देश में अव्यवस्था पैदा हो जाएगी। अगर लंबे समय तक इस तरह सड़क को बंद कर दिया जाएगा तो उससे लोग परेशान होकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे। लेकिन किसी भी सूरत में विरोध का तरीका हिंसक नहीं होना चाहिए। यह अस्वीकार्य है। शाहीन बाग धरना के जो लोग विरोधी हैं, उनको भी विरोध करने का अधिकार है, पर अहिंसक तरीके से। आप उनके विरोध में प्रदर्शन कर सकते हैं, धरना दे सकते हैं, पुलिस प्रशासन द्वारा सड़क खाली न कराए जाने को आधार बनाकर उसके खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं। किंतु गुस्से में अकार फायरिंग करना तो गुंडागर्दी है। यह सरकार के लिए भी चिंता का विषय है।

आखिर अगर लोगों के अंदर इतना आक्रोश है कि वो कानून हाथ में लेने पर उतारू हैं तो केवल कहने से कि हिंसा न करें; इसका निदान नहीं हो सकता। न जामिया में गोली चलाने वाले नाबालिग का कोई आपराधिक रिकॉर्ड है और न शाहीन बाग वाले का। इस तरह अंदर से आक्रोशित होकर हिंसा का विचार करने वाले ये दो ही नहीं हो सकते। पता नहीं कितने लोगों के अंदर हिंसा का ऐसा खतरनाक विचार चल रहा होगा। इसलिए आवश्यक है कि सरकार किसी तरह शाहीन बाग धरना को खत्म करे। शाहीन बाग के धरने में शामिल लोग भी यह विचार करें कि आखिर वो जो कर रहे हैं वो कितना सही है।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment