भर्तियों में तेजी

Last Updated 24 Jan 2020 02:39:39 AM IST

केंद्र सरकार द्वारा खाली पड़े पदों को भरने के लिए तेजी से काम करना निश्चय ही स्वागतयोग्य कदम है।


भर्तियों में तेजी

कार्मिंक व प्रशिक्षण विभाग यानी डीओपीटी ने सभी मंत्रालयों को पत्र लिखकर यह निर्देश दिया है कि खाली पड़े नौकरियों के पदों को भरने के लिए युद्धस्तर पर अभियान चलाया जाए। यह अपने आप नहीं हुआ है। पहले ही यह खबर आई थी कि प्रधानमंत्री ने निवेश व विकास दर बढ़ाने संबंधी मंत्रिमंडल समिति की बैठक में खाली पड़े पदों पर भर्तियां न किए जाने पर नाराजगी प्रकट की थी तथा निर्देश दिया था कि भर्ती करने की प्रक्रिया को तेज किया जाए। यह केवल कहने के लिए नहीं था। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा इस पर तेजी से काम करने का परिणाम है कि डीओपीटी ने पत्र में साफ लिखा है कि मंत्रालय एवं अधीनस्थ विभाग सभी खाली पदों को भरने के उपाय समयबद्ध ढंग से करें।

यानी आपको एक समय सीमा के अंदर खाली पदों की गणना से लेकर विज्ञापन निकालने एवं भर्तियां करने का काम पूरा कर देना है। इसमें टालमटोल की गुंजाइश नहीं है। जो भी कदम भर्तियों के संदर्भ में उठाए जा रहे हैं, उसके बारे में डीओपीटी को जानकारी देना अनिवार्य करने का अर्थ ही है कि इसे एक अभियान का रूप दे दिया गया है। एक्शन टेकन रिपोर्ट यानी उठाए गए कदमों की जो जानकारी आएगी, उसकी समीक्षा प्रधानमंत्री कार्यालय ही करेगा। इसका मतलब प्रधानमंत्री स्वयं भी इसकी पूरी जानकारी चाहते हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय के सक्रिय रहने का मतलब है इसके रास्ते कोई बाधा नहीं आने वाली।

वास्तव में भारत जैसे देशों की यह लाइलाज बीमारी रही है कि यहां पद खाली पड़े रहते हैं, काम प्रभावित होते हैं, लेकिन विभाग तब तक इसके लिए सक्रिय नहीं होता जब तक वाकई कोई आपातस्थिति पैदा न हो जाए। यह केवल केंद्र नहीं, राज्यों की भी समस्या है। पिछले अनेक वर्षो से खर्च कटौती के नाम पर भी भर्तियों को रोका जा रहा है। यह बिल्कुल उचित नहीं है। पदों पर भर्तियों का संबंध रोजगार सृजन से तो है ही।

जितने लोगों की भर्तियां हो जाएंगी, उतने बेरोजगारों की संख्या घटेंगी। इसका संबंध सरकार के अंदर कार्य की गति व कुशलता बढ़ाने से भी है। अगर सरकार को तेजी से काम करना है, हर काम को समय सीमा में पूरा करना है तो उसके लिए जितने कर्मी चाहिए उतने योग्य लोगों की उपस्थिति तय करनी होगी। सरकारी विभागों में ज्यादा संख्या में कर्मिंयों का होना गलत है तो आवश्यकता से कम होना ज्यादा गलत।



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