चंदे पर विवाद
कांग्रेस पार्टी को आयकर का नोटिस निश्चय ही भारतीय राजनीति की एक बड़ी घटना है।
चंदे पर विवाद |
भारत में ऐसी घटनाएं विरले ही होंगी जब किसी पार्टी को उसकी आय या प्राप्त चंदे को लेकर नोटिस मिला होगा। यह घटना इस मायने में ज्यादा बड़ी है कि इसमें मनी लौंड्रिंग का संदेह व्यक्त किया गया है। दरअसल, हैदराबाद स्थित एक बड़ी कंपनी के विरुद्ध शिकायत की छानबीन के दौरान आयकर अधिकारियों को ऐसे दस्तावेज मिले, जिनमें कांग्रेस एवं तेलुगू देशम पार्टी को धन दिए जाने का विवरण है।
आयकर विभाग का आरोप है कि एक तो कांग्रेस ने अपने रिटर्न में इसका विवरण नहीं दिया तथा यह रु पया हवाला के जरिए गया है। आयकर विभाग ऐसी ही नोटिस तेदेपा को भी जारी करने वाला है। अब कांग्रेस पार्टी को इसका जवाब देना है। हमारे यहां राजनीतिक चंदे को लेकर हमेशा से समस्याएं रही हैं। बड़ी कंपनियां पार्टयिों को खुले चंदे देने से बचती हैं। वे गुप्त रूप से धन देते हैं। अगर यह कंपनी के अपने आय-व्यय के ब्यौरे में नहीं है तो जाहिर है काला धन है। काला धन पारदर्शी तरीके से नहीं दिया जा सकता। यह अवैध प्रणाली से ही पार्टयिों के पास जाता है।
अगर आयकर विभाग का आरोप सही निकला तो कांग्रेस एवं तेदेपा दो प्रकार के मुकदमों का सामना करेंगे-आय छिपाने एवं हवाले के जरिए धन पाने। दूसरा मामला ज्यादा गंभीर है, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय करेगा। आने वाले समय में आयकर के साथ प्रवर्तन निदेशालय इस मामले में जांचकर्ता एजेंसी बन सकता है। हालांकि यह मानना गलत होगा कि केवल दो ही पार्टी इस तरह गोपनीय और अवैध तरीके से चंदा लेती हैं। सभी पार्टयिां इस तरह चंदा लेती रही हैं। यह स्पष्टत: गंभीर वित्तीय अपराध है।
चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए समय-समय पर कुछ कदम उठाए गए। मसलन, पहले बीस हजार तक नकद राशि सीमित की गई, जिसके लिए दानकर्ता का नाम सार्वजनिक करने की जरूरत नहीं थी। लेकिन अनुभव में आया कि कंपनियां चेक से चंदा देने के लिए तैयार ही नहीं हैं। फिर बीस हजार को दो हजार तक सीमित कर दिया गया ताकि काला धन आने पर रोक लगे। इसी में से इलेक्ट्रोरल बॉन्ड का विचार आया। इसे स्वयं कांग्रेस पार्टी ने ही विवादित बना दिया हैं। बहरहाल, कांग्रेस के लिए यह चिंता का विषय है। पहले से ही पार्टी नेशनल हेराल्ड को लेकर मुकदमे का सामना कर रही है। अब यह वित्तीय अपराध से ही संबंधित दूसरा मामला होगा।
Tweet |