कायराना कदम

Last Updated 05 Dec 2019 12:03:45 AM IST

गाजियाबाद में बेटे व बेटी की हत्या कर पत्नी और महिला सहयोगी के साथ कारोबारी का खुदकुशी करना कायराना कदम है।


कायराना कदम

इसकी भरपूर निंदा की जानी चाहिए। शुरुआती तफ्तीश में नजदीकी रिश्तेदार को कर्ज के तौर पर दिए दो करोड़ रुपये वापस नहीं मिलने और व्यवसाय में 60 लाख रुपये का घाटा होने की निराशा खुदकुशी की मुख्य वजह माना जा रहा है। हाल के सालों में पूरे परिवार को खत्म कर देने की प्रवृत्ति बढ़ी है।

गाजियाबाद के ही इंदिरापुरम में 2013 में एक कारोबारी ने अपने दो बच्चों और पत्नी की हत्या करने के बाद आत्महत्या कर ली थी। इसी साल इंदिरापुरम में ही एक इंजीनियर ने अपने तीन बच्चों और पत्नी का कत्ल करने के बाद जान देने की कोशिश की, मगर उसे समय रहते बचा लिया गया। वहीं दिल्ली से सटे गुरुग्राम में इसी साल एक वैज्ञानिक ने अपने दो जवान बच्चों और पत्नी की जान लेने के बाद खुद का भी जीवन खत्म कर लिया था। ऐसी लोमहषर्क घटनाएं और भी हुई हैं। समाजशास्त्रियों का मानना है कि घोर हताशा यानी डिप्रेशन व्यक्ति को शक्तिहीन बना देती है।

निराशा से बाहर निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आने पर शख्स अपने साथ-साथ परिवार के बाकी सदस्यों को भी यह समझा पाने में विफल रहता है कि वर्तमान संकट से कैसे निकला जाए? और फिर वह खुदकुशी को एकमात्र विकल्प के रूप में आजमाता है। सबसे ज्यादा आत्महत्या डिप्रेशन (विषाद) के कारण किए जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनियाभर में हर साल 8 लाख लोग खुदकुशी करते हैं। यानी हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति अपनी जान लेता है। ये आंकड़े निश्चित तौर पर चिंता का सबब हैं और इसे न्यूनतम स्तर पर लाना भारी चुनौती है।

खासतौर पर जब से संयुक्त परिवार का ताना-बाना छिन्न-भिन्न हुआ तब से ऐसे मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के बीच समय नहीं बिताने से हालात ज्यादा जटिल हुए हैं। अकेलापन, हताशा, कारोबार व अध्ययन को लेकर हद से ज्यादा चिंता करने की आदत ने व्यक्ति की सहनशीलता की डोर को बेहद नाजुक बना दिया है। इस नाते नाते-रिश्तेदारों और इष्ट-मित्रों से पारस्परिक व्यवहार निहायत जरूरी हैं। हमें चीन, श्रीलंका व फिनलैंड जैसे देशों से सीखना चाहिए, जहां खुदकुशी की समस्या को राष्ट्रीय स्तर पर रोकने की पहल की गई।



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