आयुष्मान भारत में फर्जीवाड़ा
मोदी सरकार की महत्त्वाकांक्षी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत 23 सितम्बर को एक साल पूरा करने जा रही है, लेकिन इसमें किया जा रहा फर्जीवाड़ा चिंता का विषय बन चुका है।
आयुष्मान भारत में फर्जीवाड़ा |
इसके एक साल पूरा होने के अवसर पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में खुद केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हषर्वर्धन ने बताया कि धोखाधड़ी के करीब 1200 मामलों की पुष्टि हुई है। यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल 376 अस्पताल जांच के दायरे में हैं और 338 अस्पतालों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करने, निलंबित करने, जुर्माना लगाने और पैनल से हटाने की कार्रवाई की गई है।
खास बात यह कि 97 अस्पतालों को इस योजना के पैनल से हटा दिया गया है, वहीं छह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। कुल 1.5 करोड़ रु पये का जुर्माना लगाया है। दस करोड़ परिवारों के कल्याण के लिए पिछले साल शुरू की गई इस योजना में इस तरह की खबर व्यथित करती है, लेकिन भारतीय शासन व समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार के मद्देनजर चौंकाती नहीं है। आयुष्मान भारत में क्रियान्वयन को लेकर पहले से ही गड़बड़ी की शिकायतें आ रही थीं।
चाहे पैनल से जुड़े अस्पतालों द्वारा लाभार्थी मरीजों का इलाज से इनकार करने का हो या अवांछित फीस लेने का। मगर बात यहीं तक सीमित नहीं थी। फर्जी मरीजों के जरिए स्वास्थ्य बीमा योजना को चूना लगाने की भी खबरें आ रही थीं। राहत की बात यह है कि केंद्र सरकार इस तरह के फर्जीवाड़े को लेकर पहले से सचेत थी, अन्यथा ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई संभव नहीं हो पाती। सरकार ने ऐसे मामलों की पहचान के लिए व्यवस्थागत उपाए किए हैं।
इस संदर्भ में सरकार ने यह कहकर अपना इरादा जता दिया है कि किसी तरह के फर्जीवाड़े में शामिल अस्पतालों को न केवल पैनल से हटाया जाएगा, बल्कि उनके नाम योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर डालकर सार्वजनिक कर दिए जाएंगे। जाहिर है लाज से फर्जीवाड़ों में कमी आएगी। लेकिन ऐसी नौबत आई क्यों, इस पर मंथन करना होगा। इसे स्वीकारना होगा कि उदारीकरण के दौर में विकास में निजी पूंजी की बढ़ती भूमिका के कारण भ्रष्टाचार घातक रूप ले चुका है। आयुष्मान योजना में सरकारी ही नहीं, निजी अस्पताल भी जुड़े हुए हैं। इनमें निजी अस्पतालों की संख्या ज्यादा है, जहां आधा से ज्यादा मरीज इलाज के लिए आते हैं।
Tweet |