कश्मीर पर ‘सर्वोच्च’ निर्णय
सर्वोच्च न्यायालय ने अंतत: जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाए जाने के खिलाफ दायर आठ अलग-अलग याचिकाओं पर अपना निर्णय सुना दिया।
कश्मीर पर ‘सर्वोच्च’ निर्णय |
अपने फैसले में उसने अनुच्छेद 370 हटाए जाने के विरोध में कुछ नहीं कहा। अगर देश की सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार के इस कदम की आलोचना नहीं की तो न्याय व्यवस्था में स्थिति स्पष्ट हो गई है कि अनुच्छेद 370 हटाकर सरकार ने किसी तरह का गैर-संवैधानिक काम नहीं किया है। इस तरह सर्वोच्च न्यायालय ने परोक्ष रूप से सरकार के इस कदम का अनुमोदन कर दिया है।
जाहिर है सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से सरकार को बल और ऊर्जा मिलेगी और वह कश्मीर घाटी में स्थिति सामान्य करने की दिशा में ज्यादा सक्रिय होकर काम करेगी। हालांकि सर्वोच्च अदालत ने राष्ट्रहित और आंतरिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए केंद्र एवं जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर घाटी में हालात सामान्य करने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है। इससे यह भी साफ है कि केंद्र सरकार ने जो कदम उठाया है, वह राष्ट्रहित में है। लेकिन दूसरी ओर सर्वोच्च न्यायालय ने सामाजिक कार्यकर्ता इनाक्षी गांगुली की ओर से दायर याचिका पर संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया है कि पांबंदियों की वजह से हिरासत में लिये गए नाबालिगों के माता-पिता उच्च न्यायालय नहीं पहुंच पा रहे हैं।
इस पर प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने साफ तौर पर कहा कि अगर वहां के लोग न्याय पाने के लिए उच्च न्यायालय तक नहीं पहुंच पा रहे हैं तो यह गंभीर मामला है और सरकार को इस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए कि लोगों की न्याय व्यवस्था तक आसानी से पहुंच हो पाए। उन्होंने इस संबंध में जम्मू-कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश से दो सप्ताह में रिपोर्ट मांगी और उच्च न्यायालय तक लोगों की पहुंच बनाने का दायित्व अपने ऊपर लेने की पहल करते हुए कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो मैं खुद कश्मीर जाऊंगा।
सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय के बाद संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों सहित अन्य सामाजिक संगठनों और समूहों को शांत मन से यह सोचना चाहिए कि कश्मीर घाटी में शांति बहाली के लिए सरकार और प्रशासन जो कदम उठा रहे हैं, उनका सहयोग और समर्थन करें। साथ ही, घाटी में जो नौजवान बहक गए हैं, उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास करें। सिर्फ राजनीति करने से कुछ हासिल नहीं होगा।
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