मानने में ही भलाई
संशोधित मोटर वाहन कानून (2019) को लागू हुए 10 दिन हो गए मगर इस पर देशभर में रार मची है।
मानने में ही भलाई |
जुर्माने में करीब 30 गुना वृद्धि किए जाने से हर कोई हैरान-परेशान है। हालांकि केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने खुद का उदाहरण देकर लोगों से नियम-कानून की परवाह करने की समझदारी दिखाने की अपील की है। तय सीमा से ज्यादा तेज गति से वाहन चलाने के कारण चालान भरने की बात कहकर गडकरी ने यह बताने की कोशिश की है कि इस कानून की जद में छोटा और बड़ा हर कोई है। नि:संदेह मोटर वाहन कानून के लागू होने के बाद से जनता में सतर्कता का संचार हुआ है तो पुलिस भी संजीदा तरीके से काम कर रही है। हां, पूर्व में भारी-भरकम चालान कटने की वजह से जनता में इसे लेकर भारी आक्रोश देखा गया। मगर इस तथ्य में कतई संदेह नहीं है कि कानून का पालन करने वालों के साथ कुछ भी गलत नहीं होगा। इस बात से कौन इनकार करेगा कि देश में सड़कों पर गाड़िया चलाने के नियम और कानूनों को किस कदर रौंदा गया है। लाखों लोगों की जान हर साल सड़क हादसों की भेंट चढ़ जाती हैं। इस लिहाज से ऐसे सख्त कानून की निहायत जरूरत थी। स्वाभाविक तौर पर शुरुआती दिक्कतें दरपेश आती हैं, मगर इसे फिजूल का बताकर खारिज करना कहीं से भी समझदारी नहीं कही जा सकती है।
जनता में सड़क पर कायदे से चलने की जागरूकता आई है। भले यह भारी जुर्माने के डर से आई हो। हो सके तो ऐसी सख्ती अतिक्रमण और बाकी अनियमितताओं पर भी लागू हो। इसके अलावा सरकार को उन राज्यों पर भी सख्ती दिखानी होगी, जो इस कानून का पालन करने से बिदक रहे हैं। जाहिर तौर पर सभी राज्यों से सलाह-मशवरा करने के बाद ही इसे मूर्त रूप दिया गया है, सो इसे लागू कराने में हीलाहवाली का कोई मतलब नहीं रह जाता है। साथ ही इसे सहज रूप से क्रियान्वित करने के लिए सरकार को कैंप लगाने होंगे, प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या भी बढ़ानी होगी। क्योंकि अभी प्रदूषण जांच केंद्रों पर अफरातफरी का माहौल है। निश्चित तौर पर जनता में जुर्माने का डर बैठा हुआ है। इसे भी दूर करने की दिशा में सरकार को पहल करनी होगी। लाजिमी तौर पर बड़े फैसले को लागू कराने में तमाम दिक्कतें पेश आती हैं। इस कानून को लागू करने के दौरान भी ऐसा ही कुछ दिख रहा है। मगर जान की कीमत किसी भी जुर्माने से बेशकीमती होती है।
Tweet |