ब्रिटेन में भारत विरोध

Last Updated 06 Sep 2019 12:26:35 AM IST

जम्मू-कश्मीर का विशेष दरजा खत्म किए जाने के खिलाफ स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ब्रिटेन में लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग के सामने हिंसक प्रदर्शन हुए ज्यादा दिन नहीं गुजरे थे कि तीन सितम्बर को हजारों की संख्या में फिर ब्रिटिश पाकिस्तानी समूहों ने वहां हिंसक प्रदर्शन किया।


ब्रिटेन में भारत विरोध

यह सब ब्रिटिश पुलिस की नजरों के सामने हुआ। दुनिया को लोकतंत्र और मानवाधिकार की नसीहत देने वाले देश में सिविल सासाइटी के तौर-तरीकों के विपरीत हुआ प्रदर्शन वहां की कानून-व्यवस्था लागू करने वाली मशीनरी की नीयत पर सवाल खड़ा करता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर मसले पर बुलाई गई अनौपचारिक बैठक में ब्रिटेन की भारत विरोधी रु ख की आशंका प्रकट की गई थी, हालांकि उसकी पुष्टि करना मुश्किल था। बाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के बीच बातचीत के बाद लगा कि दोनों देशों के बीच सब कुछ सामान्य हो गया है, लेकिन इसके बाद की दो घटनाएं भारत को चिंतित करने वाली हैं। हालिया प्रदर्शन के अलावा वहां के विदेश मंत्री डोमिनिक राब द्वारा यह कहना कि कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की जांच कराई जानी चाहिए, ब्रिटिश सरकार के असली रूप को प्रदर्शित करता है। मौजूदा हिंसक प्रदर्शन के बाद वहां के सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े कुछ लोगों द्वारा इसकी निंदा में वह गंभीरता नहीं दिखी, जिसकी उम्मीद की जा रही थी। हिंसक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर अब तक खानापूर्ति ही दिख रही है।

अगर ब्रिटेन को हिंसा और मानवाधिकार की इतनी ही चिंता है, तो वह पाक प्रायोजित आतंकियों द्वारा निर्दोष लोगों की हत्या पर भी दिखनी चाहिए थी। दरअसल, पिछले कुछ वर्षो से ब्रिटेन में जिस प्रकार कश्मीरी अलगाववादी और खालिस्तान समर्थक समूहों की भारत विरोधी गतिविधियां दिख रही हैं, उनसे तो यही धारणा बनने लगी है कि वह भारत विरोधी गतिविधियों का नया केंद्र बनता जा रहा है। ब्रिटेन का यह रवैया उस समय भी था, जब देश विभाजन के समय कश्मीर समस्या पैदा हुई थी। ब्रिटेन वह पुरानी शोहरत दोबारा हासिल नहीं कर सका और अब उसकी घरेलू राजनीति भी रास्ते से भटकने लगी है। दुर्भाग्यवश वहां मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति सिर चढ़कर बोलने लगी है। यह प्रदर्शन उसका एक प्रतिफल है। आतंकी घटनाओं का सामना कर रहे ब्रिटेन को यह नहीं भूलना चाहिए कि जिहादी आतंक वहां भी पैर फैला रहा है।



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