संबंधों को नया आयाम

Last Updated 06 Sep 2019 12:27:58 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दो दिवसीय रूस यात्रा अनेक दृष्टियों से द्विपक्षीय संबंधों में नये आयाम जोड़ने वाली है।


संबंधों को नया आयाम

यात्रा के दौरान हुए समझौतों तथा भविष्य की योजनाओं को देखने से लगता है कि काफी समय पूर्व से सामरिक साझेदारी को संपूर्ण विस्तार देने की योजना पर काम चल रहा था। मोदी फिक्की का 50 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल लेकर यों ही नहीं गए थे। व्लादिवोस्तोक रूस का सुदूर पूर्व का हिस्सा है, जो खनिज और ऊर्जा से भरा है। कृषि में वहां व्यापक संभावनाएं हैं। उस क्षेत्र में आबादी बहुत कम है। रूस चाहता था कि भारत की निजी कंपनियां वहां निवेश करें जिनसे खनन से लेकर कृषि की संभावनाओं को मूर्त रूप दिया जा सके। भारत को भी एक बहुत बड़ा क्षेत्र अपनी कंपनियों के साथ कुशल मैनपावर के रोजगार के लिए मिल जाएगा। दोनों देशों के बीच हुए 13 समझौते इस नाते काफी महत्त्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए भारत के एच-एनर्जी ग्लोबल लिमिटेड और रूस के नोवाटेक के समझौते के तहत नोवाटेक भारत, बांग्लादेश और अन्य बाजारों में एलएनजी की बिक्री के लिए एलएनजी टर्मिंनल और संयुक्त उद्यम के गठन में निवेश करेगी। रक्षा उपकरणों के स्पेयर पार्ट्स संयुक्त उद्यम में बनाए जाएंगे। जैसा मोदी ने कहा भारत-रूस रक्षा, कृषि, पर्यटन, व्यापार में आगे बढ़ रहे हैं।

गगनयान के लिए भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिक रूस में प्रशिक्षण लेंगे। चेन्नै और व्लादिवोस्तोक के बीच समुद्री मार्ग तैयार किए जाने पर सहमति बन रही है। भारत-रूस इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर यानी अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण ट्रांस्पोर्ट गलियारा पर भी काम कर रहे हैं। यह सड़क, रेल और समुद्र मार्ग होगा जो भारत, ईरान और रूस को जोड़ेगा। इस तरह भारत-रूस संबंध रक्षा और नाभिकीय ऊर्जा से आगे निकल कर बिल्कुल नई दिशा में आगे बढ़ गए हैं। पुतिन द्वारा ईस्टर्न इकोनोमिक समिट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करना प्रमाण है कि रूस भारत को कितना महत्त्व दे रहा है। रूस ने मोदी को सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल से सम्मानित करने का ऐलान पहले से किया हुआ था। इस तरह की बहुआयामी साझेदारी के सामरिक और अंतरराष्ट्रीय महत्त्व को नहीं नकार सकते। आने वाले समय में अनेक द्विपक्षीय अंतरराष्ट्रीय मामलों पर भारत रूस की आवाज एक हो सकती है। आखिर, दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान पर एक ही राय प्रकट की।



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