वार्ता प्रस्ताव

Last Updated 03 Sep 2019 05:55:59 AM IST

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी द्वारा भारत से सशर्त बातचीत के बयान को उनकी सह्रदयता का प्रमाण नहीं माना जा सकता।


वार्ता प्रस्ताव

स्पष्ट है कि पूरी दुनिया में भारत को बदनाम करने की हर संभव कोशिश के बावजूद पाकिस्तान को कहीं से समर्थन नहीं मिला। इसी हताशा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि यह मुसलमानों का मामला है, इसलिए दुनिया बोलने को तैयार नहीं है।

इस तरह उन्होंने जम्मू-कश्मीर को मुस्लिम मुद्दा बनाने की कोशिश की ताकि भारत के खिलाफ मुस्लिम देश सामने आएं। रणनीति विफल रही। कुरैशी के प्रस्ताव को इसी की परिणति माना जा सकता है। वे कह रहे हैं कि बातचीत भी तब करेंगे जब भारत जम्मू-कश्मीर से प्रतिबंध हटा दे। हालांकि आप जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के समय से पाकिस्तान के वक्तव्यों से तुलना करेंगे तो तेवर में बड़ा बदलाव दिखेगा।

इसमें अनच्छेद 370 हटाने की नहीं केवल उसके बाद जो सुरक्षा सख्ती है, उसको हटाने की मांग की गई है। यह भी भारत को अस्वीकार्य है। जम्मू-कश्मीर हमारा भाग है। वहां सुरक्षा व्यवस्था कैसी है, यह तय करना हमारा अधिकार है। हालांकि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसके सधे हुए जवाब में इतना ही कहा कि भारत आतंकवाद और हिंसामुक्त माहौल में पाकिस्तान से द्विपक्षीय बातचीत करना चाहता है। यह स्वाभाविक स्टैंड है। एक ओर आतंकवाद हो, हिंसा हो, युद्धविराम का भयावह उल्लंघन हो और दूसरी ओर हम बातचीत की मेज पर बैठें, यह संभव नहीं है।

कुरैशी ने कहा कि युद्ध कोई विकल्प नहीं है, लेकिन इसके साथ यह भी कहते हैं कि दोनों देश नाभिकीय शक्तिसंपन्न हैं, इसलिए युद्ध नहीं हो सकता। युद्ध की बात भारत ने कभी की ही नहीं। युद्ध शब्द का प्रयोग केवल पाकिस्तान करता रहा है। पाकिस्तान को समझना होगा कि दो पड़ोसियों के बीच सामान्य बातचीत युद्ध-युद्ध चिल्लाने, नाभिकीय शक्ति का डर दिखाने के बीच नहीं हो सकती।

उसे स्पष्ट करना ही होगा कि भारत में आतंकवादी भेजने को किस तरह रोक रहा है, अपने सैनिकों को युद्धविराम का आदेश उसने कब दिया है? साथ ही, अपना दिमाग साफ करना होगा कि जम्मू-कश्मीर कभी न उसका था, न हो सकता है। जब तक वह इस यथार्थ को स्वीकार नहीं करता बातचीत बेमानी है। अगर आप दुनिया को दिखाने की रणनीति से प्रस्ताव दे रहे हैं कि हम तो बातचीत करना चाहते हैं, भारत ही नहीं कर रहा तो आप बयान देते रहिए, भारत को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।



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