देश हित में
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दूसरे कार्यकाल के दूसरे ‘मन की बात’ में जितने कार्यक्रम दिए हैं, अगर उन पर सब पर कल्पना के अनुरूप अमल हो तो भारत का चरित्र काफी हद तक बदल जाएगा एवं अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा।
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मसलन, उन्होंने 29 अगस्त ‘खेल दिवस’ को ‘फिटनेस दिवस’ के रूप में मनाने का आह्वान किया है। उस दिन ज्यादा-से-ज्यादा इससे संबंधित कार्यक्रम होंगे, जिनमें लोगों को बताया जाएगा कि आपका फिट रहना कितना जरूरी है। भारत में स्वास्थ्य समस्याओं के कारण जितनी परेशानी है, बीमारी पर जितना खर्च होता है उसमें लोगों को फिट रहने की यानी स्वस्थ रहने की प्रेरणा मिलती है, उसके लिए रास्ते मिलते हैं तो इससे बढ़िया कुछ हो नहीं सकता। इसी तरह प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी के 150 में जन्म दिवस यानी 2 अक्टूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भारत का जो आह्वान किया है, वह भी महत्त्वपूर्ण है। लाल किले के प्राचीर से उन्होंने पर्यावरण की रक्षा और भावी पीढ़ी का ध्यान रखते हुए प्लास्टिक का प्रयोग न करने की अपील की थी। जाहिर है यह अभियान के रूप में शुरू होता है तो इसका व्यापक असर होगा। लोगों में जागरूकता आएगी और धीरे-धीरे लोग प्लास्टिक का उपयोग बंद करेंगे। तीसरे अभियान में उन्होंने 11 सितम्बर से स्वच्छता ही सेवा की घोषणा की है।
छोटे-बड़े सब लोग बाहर निकलकर एक साथ जब गलियां, चौक-चौराहे, स्कूल या कॉलेज से लेकर सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता अभियान चलाएंगे तो इसका असर होगा। स्वच्छता अभियान पहले से चल रहा है लेकिन लोगों की जितनी भागीदारी होनी चाहिए नहीं है। प्रधानमंत्री ने लोगों से देश के अंदर पर्यटन की भी अपील की है। उन्होंने कई स्थानों का नाम लिया, जिनमें गांधीजी से जुड़े स्थान एवं पूर्वोत्तर के इलाके प्रमुख थे। स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में भी उन्होंने अपील की थी। भारत में तीर्थाटन की पंरपरा पुरानी है मगर आधुनिक समय में अध्यात्म के केंद्र पर्यटन केंद्र भी हैं। पूर्वोत्तर प्राकृतिक दृष्टि से काफी सुरम्य है। बावजूद लगता है जैसे देश के पर्यटन मानक से वह कटा हुआ है। तीर्थाटन और पर्यटन से हम अपने ही देश की विविधता, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। हमारा मानना है कि तीनों कार्यक्रम और पर्यटन की अपील को सकारात्मक भाव में लेकर इसे साकार करने में योगदान करना चाहिए।
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