ट्रंप-मोदी बातचीत
जम्मू कश्मीर का विशेष दरजा खत्म करने और उसे दो केंद्रशासित प्रदेश में विभाजित करने के बाद पाकिस्तान पूरी दुनिया में भारत विरोधी माहौल तैयार करने में लगा है।
ट्रंप-मोदी बातचीत |
गत शुक्रवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बातचीत की थी। अफगानिस्तान में फंसे अमेरिका से पाकिस्तान को उम्मीद थी कि वह उनके पक्ष में आएगा, लेकिन उसे निराशा हाथ लगी और अमेरिका ने कश्मीर मसले को द्विपक्षीय बताते हुए अपना हाथ खींच लिया। इसके पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कश्मीर पर ‘मध्यस्थता’ का प्रस्ताव किया था, जिससे पाकिस्तान का मनोबल बढ़ गया था।
इस पूरे प्रकरण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुप ही रहे थे, मगर सोमवार को उन्होंने ट्रंप से फोन पर आधे घंटे बातचीत की। हालांकि उन्होंने पाकिस्तान या किसी क्षेत्रीय नेता का नाम नहीं लिया, किंतु इशारों में पाकिस्तान की तरफ संकेत करते हुए कह दिया कि क्षेत्र में कुछ नेताओं द्वारा तीखी बयानबाजी और भारत के विरूद्ध हिंसा को भड़काना शांति के अनुकूल नहीं है। उन्होंने आतंक और हिंसा मुक्त वातावरण तैयार करने और सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने पर जोर दिया। इस तरह भारत ने यह जता दिया कि सीमा पर किसी भी प्रकार की अशांति और हिंसा के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार होगा।
ऐसी स्थिति में भारत आत्मरक्षार्थ कार्रवाई का अधिकार अपने पास रखेगा। जाहिर है इसके बाद पाकिस्तान पर संयम बरतने के लिए वैश्विक समुदाय का दबाव पड़ेगा। हुआ भी ऐसा ही। इस बातचीत के बाद खुद ट्रंप ने इमरान को तनाव बढ़ाने से बचने की नसीहत दे डाली। मोदी से बातचीत के बाद ट्रंप की यह प्रतिक्रिया भारत की संयत कूटनीति का नतीजा कही जा सकती है, लेकिन इसमें दोनों देशों के रणनीतिक हित भी एक दूसरे से मिलते हैं।
जब भारत यह कहता है कि अब पाकिस्तान से वार्ता केवल पाक अधिकृत कश्मीर पर होगी, तो इससे न केवल पाकिस्तान, बल्कि चीन भी चिंतित होगा, जिससे इस समय अमेरिका की प्रतिस्पर्धा चल रही है। चीन द्वारा सामरिक उद्देश्यों से बनाया जा रहा चीन-पाक आर्थिक गलियारा पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरता है, जो भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन तो करता ही है, यह रणनीतिक दृष्टि से अमेरिका के लिए भी घातक है। ऐसे में अफगान समस्या के बावजूद अमेरिका से पाकिस्तान को ज्यादा समर्थन नहीं मिल सकता।
Tweet |