क्रिकेट का नया चैंपियन
इंग्लैंड को क्रिकेट का जनक माना जाता है और विश्व कप की शुरुआत भी उसके यहां 1975 में हुई पर उसे विश्व चैंपियन का खिताब पाने के लिए 44 साल लग गए।
क्रिकेट का नया चैंपियन |
पर उसने जिस रोमांचक अंदाज में विश्व कप पर कब्जा जमाया, वैसा रोमांच इससे पहले किसी भी फाइनल में नहीं देखा गया था। इस बार खिताब का फैसला रन और विकेट के बजाय चौकों ने किया। कहने का मतलब है कि इंग्लैंड के न्यूजीलैंड द्वारा रखे 242 रन के लक्ष्य के जवाब में उसके ही बराबर 241 रन बना लेने से मैच सुपर ओवर में खिंच गया। इसमें भी दोनों टीमों के बराबर 15 रन बनाने से फैसला इस आधार पर किया गया कि इंग्लैंड ने पारी और सुपर ओवर के दौरान न्यूजीलैंड के 17 चौकों के मुकाबले 26 चौके लगाए।
सही मायनों में न्यूजीलैंड फाइनल में मेजबान इंग्लैंड से किसी भी मामले में कमजोर साबित नहीं हुई। वह विजेता सिर्फ इसलिए नहीं बन सकी कि भाग्य उसके साथ नहीं था। इसको इस तरह भी देखा जा सकता है कि चैंपियन भले ही इंग्लैंड बना है पर वास्तव में क्रिकेट की जीत हुई है। इस तरह के फाइनल की शायद किसी ने भी कल्पना नहीं की थी। इस कारण ही आखिरी कुछ ओवरों के खेल में कमेंटेटर सहित सारा स्टेडियम कुर्सी से उठकर मैच का लुत्फ उठा रहा था।
इस मुकाबले में हर पल मैच की रंगत बदलने से टीमों के समर्थकों और खुद खिलाड़ियों के चेहरे की रंगत भी बदल रही थी। पहले नौ विश्व कपों के बारे में यह धारणा बन गई थी कि मेजबान टीम चैंपियन नहीं बनती है। लेकिन भारत ने 2011 में चैंपियन बनकर इस धारणा को तोड़ा। इसके बाद 2015 में ऑस्ट्रेलिया अपने घर में चैंपियन बना और अब इंग्लैंड लगातार तीसरी टीम है, जिसने घर में विश्व कप को जीता है। न्यूजीलैंड लगातार दूसरी बार चैंपियन नहीं बन पाने की निराशा के साथ लौट रही है।
2015 के फाइनल में वह ऑस्ट्रेलिया से हार गई थी। लेकिन इस बार की हार कुछ अलग है क्योंकि न्यूजीलैंड ने फाइनल में अपने जुझारू प्रदर्शन से कप तो नहीं जीता पर लोगों का दिल जीतने में जरूर सफल रहा है। इंग्लैंड को चैंपियन बनाने में किसी खिलाड़ी की सबसे अहम भूमिका रही है तो वह हैं बेन स्टोक्स। अगर उसने विकेट पर टिकने का जज्बा नहीं दिखाया होता तो न्यूजीलैंड ने एक समय उसका काम कर दिया था। पर भाग्य इंग्लैंड पर मेहरबान था,उसे चैंपियन बनना था और वह बना।
Tweet |