अपने निकले हत्यारे
राजधानी दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में बुजुर्ग पति-पत्नी और उनके नर्स की हत्या की जो कहानी सामने आई है उससे फिर साफ हुआ है कि ऐसे मामलों में ज्यादातर जान-पहचान वाले ही अपराधी निकलते हैं।
अपने निकले हत्यारे |
हत्या करने वाली प्रीति सेहरावत और उसका लिव इन पार्टनर मनोज भट्ट उस घर में आराम से आता-जाता था। प्रीति मृतका शशि माथुर की सहेली की बेटी है। उसका उस घर से ऐसा रिश्ता था कि रात में वह ठहर भी जाती थी। ऐसी घरेलू लड़की को शंका की दृष्टि से कोई देख भी कैसे सकता था?अगर ऐसी स्थिति हो जाए तो हमें हर व्यक्ति पर, चाहे वह कितना भी नजदीकी क्यों न हो, उस पर शंका करना पड़ेगा। उस लड़की ने अपने लिव इन पार्टनर के साथ मिलकर जैसा जघन्य वारदात किया, वह अकल्पनीय है। नर्स को 35 घाव दिए गए। हालांकि मनोज भट्ट अपनी पत्नी की हत्या के मामले में पांच वर्ष की सजा काट चुका है, लेकिन बाद में न्यायालय ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया था। इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता है कि उसका आपराधिक रिकॉर्ड है। अभी तक हत्या का कारण केवल लूटपाट ही सामने आया है। इनके पास से लूटी हुई नकद 86 हजार और अन्य सामग्री बरामद की गई हैं।
विडम्बना देखिए कि एक ओर तो वे बता रहे हैं कि कारोबार अच्छा नहीं चलने से वे परेशान थे और लूट के बाद घर छोड़कर होटलों में मस्ती कर रहे थे। दो होटल वे बदल चुके थे। एक होटल से ही दोनों को देर रात पकड़ा गया। जिसके सामने वित्तीय कठिनाई हो वह इस तरह ऐय्याशी कैसे कर सकता है, समझ से परे है। यहां मूल बात संबंधों का है। आखिर जब इस तरह घुले-मिले लोग ही हत्या और लूट करने लगें तो फिर कोई भी सुरक्षित नहीं है। तब तो कोई भी आपके यहां ठहर कर देर रात अपने साथियों को बुलाकर अपराध कर सकता है। यह तो संभव नहीं कि सारे संबंध खत्म कर दिए जाएं। यह भी संभव नहीं कि जो हमारे परिचित हैं, उनको घर में आने से रोक दिया जाए। यह भी संभव नहीं कि जो भी मेहमान हमारे यहां रात में रुकें या आए जाएं उनकी सूचना पुलिस को दी जाए। बुजुर्ग चाहे वह अकेले हों या पति-पत्नी, उनके यहां कोई आता है तो उन्हें खुशी होती है, क्योंकि इससे उनका एकाकीपन टूटता है। वे ऐसे रिश्ते बनाए रखना चाहते हैं। पर इसी में विश्वास का खून भी होता है। इसमें ऐसा नुस्खा बताना किसी के लिए कठिन है, जिससे इस तरह की वारदातें रुक सकें।
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