प्रधानमंत्री का आश्वासन

Last Updated 27 Jun 2019 06:55:42 AM IST

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोक सभा में हुई चर्चा को कैसे देखा जाए यह हमारे आपके नजरिए पर निर्भर करता है।


प्रधानमंत्री का आश्वासन

एक नजरिया यह हो सकता है कि पक्ष और विपक्ष ने एक दूसरे पर आरोप लगाए। कई बार शब्दों की मर्यादा का भी अतिक्रमण हुआ। किंतु, दूसरा और व्यावहारिक नजरिया यह है कि देश को लंबे समय बाद तथ्यों और तकरे से भरपूर बहस सुनने को मिली। कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने जो प्रश्न उठाए उनमें हालांकि प्रधानमंत्री के लिए जो शब्द प्रयोग हुआ वह आपत्तिजनक था। बावजूद उन्होंने सरकार को घेरने की कोशिश की। इसके समानांतर प्रधानमंत्री के जवाब में तथ्य, तर्क, व्यंग्य, कटाक्ष, बचाव, प्रत्याक्रमण..सब थे, लेकिन भाषा पूरी तरह मर्यादित थी। राष्ट्रपति का अभिभाषण वस्तुत: सरकार के भावी कार्यक्रमों की रूपरेखा होती है। उस पर प्रश्न उठाना, सरकार से उसके बारे में प्रश्न पूछना विपक्ष का दायित्व था।  निश्चय ही देश की नजर प्रधानमंत्री के जवाब की ओर थी। प्रधानमंत्री के भाषण में अनके बातें थीं। यहां हम तीन बातों के आधार पर उसका मूल्यांकन कर सकते हैं। पहला, प्रधानमंत्री ने तीन तलाक विधेयक पर बोलते हुए कांग्रेस को आगाह किया कि आपने देश में ऐसे दो अवसर गंवाए हैं।

आपके पास तीसरा अवसर है, जब मजहबी तुष्टिकरण से ऊपर उठकर नारी सम्मान और गरिमा के लिए आगे आएं। इससे साफ हो गया कि इस बार तीन तलाक विधेयक को पारित कराने को लेकर सरकार दृढ़ है। देश के लिए यह बड़ा संदेश था। दूसरे, उन्होंने साफ किया कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई जारी रहेगी, लेकिन दुर्भावना या बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं होगी। जो भी होगा कानून सम्मत होगा और सजा देने का काम न्यायालय ही करेगा। इसके साथ प्रधानमंत्री ने अपने जवाब में देश को आस्त किया कि नव भारत की कल्पना को साकार करने के लिए सरकार संकल्पित है। 2022 और 2024 तक के सामाजिक-आर्थिक विकास के लक्ष्य को पूरा करने के साथ देश को पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हम कोई कसर नहीं उठा रखेंगे। किंतु देश को विश्व का सिरमौर बनाने और समाज में विकास की धारा में पीछे छूट गए लोगों को आगे लाने का काम कोई सरकार अकेले नहीं कर सकती। इसमें पूरे देश का साथ चाहिए। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री की अपील महत्त्वपूर्ण है कि हमें राजनीतिक मतभेद को दरकिनार कर कंधे-से-कंधा मिलाकर देश को सशक्त करने का लक्ष्य हासिल करना है।



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