राजधानी में हत्याएं

Last Updated 25 Jun 2019 06:36:48 AM IST

राजधानी दिल्ली मे 24 घंटे के अंदर नौ हत्याओं ने निस्संदेह, डरावनी स्थिति पैदा की है। पर इसकी व्याख्या कैसे की जाए? यह प्रश्न वाकई गंभीर है।


राजधानी में हत्याएं

ऐसा नहीं है कि इनको राह चलते गोली मारी गई हो। सबकी हत्या उनके घर में हुई। एक ट्यूटर ने अपनी पत्नी और तीन बच्चों की धारदार चाकू से हत्या कर दी। उसने स्वयं को मारना चाहा पर साहस जवाब दे गया। एक दृष्टिहीन संगीत शिक्षक एवं उनकी पत्नी की हत्या भी घर में ही रहने वाले रिश्तेदार ने कर दी। वसंत कुंज में एक बुजुर्ग दंपति तथा उसके साथ रहने वाली नर्स की हत्या का सुराग अभी नहीं मिला है, किंतु दरवाजा खुला होने का अर्थ यही लगाया जा रहा है कि इस घटना में भी कोई जानने वाला व्यक्ति ही शामिल है। वैसे महानगरों में बुजुगरे की हत्याओं की घटनाएं लगातार हो रहीं हैं, और यह पुलिस के साथ-साथ समाज के लिए भी चिंता का भी विषय है। बुजुर्ग उस हालत में होते नहीं कि हमलावर का मुकाबला कर सकें। हालांकि दिल्ली पुलिस ने अकेले रहने वाले बुजुगरे या दंपतियों का सर्वेक्षण कराकर उनकी सुरक्षा पर विचार किया तथा कुछ कदम भी उठाए, जिनका असर हुआ है। बुजुगरे के लिए 1291 नम्बर की हेल्पलाइन भी है। बावजूद समय-समय पर ऐसी हत्याएं हो रहीं हैं। तो किया क्या जाना चाहिए?

यह ऐसा प्रश्न है, जिसका सटीक उत्तर किसी के पास नहीं। जिस शिक्षक ने अपने परिवार की हत्या की उसका कहना है कि उसकी पत्नी बीमारी के कारण दर्द से परेशान रहती थी जो उससे देखा नहीं जाता था, इसलिए उसने ऐसा किया। सहसा इस कहानी पर विश्वास नहीं होता कि इतने के लिए वह पत्नी के साथ अपने तीन प्यारे बच्चों की जान भी ले लेगा। पहली घटना को एकल परिवार का संकट मानना होगा। अगर बुजुर्ग संयुक्त परिवार में होते तो ऐसी वारदात का कोई कारण नहीं है। इसी तरह, शिक्षक यदि अपनी परेशानियों को साथ रहने वाली अपनी सास या अपने ही परिवार में शेयर किया होता तो ऐसा जघन्य अपराध नहीं कर पाता। कहना न होगा कि परिवार में सुख-दुख बांटने के लिए ही दूसरे सदस्य होते हैं, और अवसाद की गिरफ्त में आ जाने के बावजूद इस तरह की घटनाएं नहीं होतीं। तीसरा परिवार भी गांव से ही शहर आ गया था, जिसकी बेटी से हत्यारा शादी कर संपत्ति हड़पना चाहता था जबकि वह पहले से शादीशुदा था। इस तरह इन हत्याओं को कानून व्यवस्था की समस्या से ज्यादा बदलते समाज के संकुचन के दायरे में देखा जाना भी अभीष्ट होगा।



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