विपक्षी कवायद तेज

Last Updated 20 May 2019 06:55:03 AM IST

चुनाव अभियान की समाप्ति के साथ विपक्षी दलों की कवायदें हमारी राजनीति की विडम्बना को दर्शाती हैं। विपक्षी दल एकजुटता दिखाएं इसमें हर्ज नहीं है।


विपक्षी कवायद तेज

किंतु चंद्रबाबू नायडू का दिल्ली से लखनऊ तक का दौरा एवं सोनिया गांधी द्वारा विपक्षी नेताओं को दिए गए निमंतण्रसे राजनीतिक आतुरता का संकेत मिलता है। इनकी आम कल्पना यह है कि इस बार परिणाम 1996 जैसा होगा, इसलिए सरकार गठन से भाजपा को रोकने के लिए पहले से घेरेबंदी की जाए।

प्रश्न है कि ऐसा नहीं हुआ तो? आखिर भाजपा भी पूर्ण बहुमत मिलने को लेकर पूर्ण आत्मविास प्रदर्शित कर रही है। तो क्या परिणाम आने तक प्रतीक्षा नहीं की जा सकती थी? चन्द्रबाबू नायडू तो आंध्र प्रदेश का चुनाव खत्म होने के दूसरे दिन ही दिल्ली आकर विपक्षी नेताओं के साथ बैठे थे और वहीं से ईवीएम का मामला फिर से सर्वोच्च न्यायालय ले जाने का फैसला हुआ। यह बात अलग है कि उससे इन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। अगर बहुमतविहीनता वाला चुनाव परिणाम आता है तो ये सारे दल पहले भी कई बार साथ बैठकर बता चुके हैं, हम मिलीजुली सरकार बनाएंगे।

हां, प्रधानमंत्री के नाम पर अवश्य मतभेद उभरे हैं। मायावती ने स्वयं अपना नाम प्रस्तावित कर दिया और अखिलेश यादव ने नाम न लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश से हो तो उन्हें खुशी होगी। ममता बनर्जी स्वयं उम्मीदवार हैं। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने पहले कहा कि उनकी पार्टी भाजपा को बाहर रखने के लिए प्रधानमंत्री पद का त्याग करने को तैयार है। किंतु अगले ही दिन उनका बयान आ गया कि एक बड़े दल के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार बनती है तभी राजनीतिक स्थिरता कायम रह सकती है।

यानी कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। ये सारी बातें विपक्ष के संदर्भ में अशोभनीय दृश्य पैदा करती हैं और आम लोगों को संदेश यह जाता है कि इनका उद्देश्य किसी तरह सत्ता में प्रभावी बनाने की जुगाड़ करना है। बिना परिणाम जाने इस तरह की दावेदारी हास्यास्पद भी लगती है। हालांकि इन दावों को परे रख दें तो एक दूसरा पहलू भी विपक्षी कवायद की नजर आती है। वह है, प्रतिकूल परिणाम आने की स्थिति में अपनी भूमिका का निर्धारण। क्या वैसी स्थिति में सम्मिलित विपक्ष ईवीएम एवं चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा करेगा? इसके संकेत तो अभी से मिलने लगे हैं। तो तैयार रहिए, परिणाम आने के साथ कई प्रकार की लंबी राजनीतिक चहलकदमियों को झेेलने के लिए।



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