राजधानी में गैंगवार

Last Updated 21 May 2019 04:51:58 AM IST

राजधानी दिल्ली द्वारका मोड़ मेट्रो स्टेशन के पास बदमाशों के बीच भीषण गोलीबारी ने कानून व्यवस्था पर फिर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।


राजधानी में गैंगवार

हालांकि पीसीआर वैन के सिपाहियों ने इनका सामना किया और एक सिपाही के डिवाइडर फांद कर बदमाशों से मोर्चा लेने की भी खबर है जिसमें दो मारे गए और एक घायल अस्पताल में है। बावजूद इस प्रश्न का उत्तर नहीं मिलता कि आखिर, राजधानी में बदमाश दिनदहाड़े इस तरह गोलीबारी करने का दुस्साहस कैसे करते हैं? कोई गाड़ी से सड़क पर जा रहा है, उसका पीछा करते हुए गोली चलाई जाती है और गोली नहीं लगती तो अपनी बाइक से उतर कर उसे सामने से मार दिया जाता है। संयुक्त पुलिस आयुक्त बता रहे हैं कि जिसको अपराधियों ने मारा वो भी एक अपराधी गिरोह का सदस्य था और जिसे पुलिस ने मारा वो दूसरे गिरोह का। ये सब पहले साथ थे लेकिन प्रॉपर्टी विवाद के बाद दुश्मन गैंगों में बदल गए। खबर के अनुसार 15 चक्र से ज्यादा गोलियां चलीं? प्रश्न है कि आखिर, अति सुरक्षित माने जाने वाले शहर में इस तरह अपराधी गिरोह सक्रिय क्यों हैं? उनके पास अवैध हथियार और गोलियां कहां से आ रहे हैं? इन प्रश्नों का जवाब दिल्ली पुलिस को तलाशना होगा। अपराधी गिरोहों के बीच गोलीबारी और पुलिस से मुठभेड़ की खबरें समय-समय पर आती रहती हैं।

अपराधी हथियारों के साथ राजधानी में गाड़ियों से सफर करता है तो यह किसकी विफलता है? इसका अर्थ है कि दिल्ली की कानून व्यवस्था कमजोर हुई है। दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या की घटना लगभग हर सप्ताह अखबारों में जगह पाती हैं। दिल्ली में कानून व्यवस्था का खौफ इतना होना चाहिए कि बदमाश यहां प्रवेश करने से भी बचें और सक्रिय होने की तो कल्पना भी न करें। स्थिति इसके उलट है। छोटे-मोटे अपराध तेजी से बढ़े हैं। चोरी, झपटपमारी यहां हैं। आपके कार्यालय में ताला तोड़कर कंप्यूटर आदि चोर ले जाएगा और पुलिस शिकायत का कोई परिणाम नहीं आ सकता। रास्ते चलते बदमाश आपका मोबाइल छीनकर भाग जाएंगे, गले से चेन झपट लेंगे और आप कुछ नहीं कर सकते। मोबाइल चोरी के बाद आप दिल्ली पुलिस को ट्वीट करेंगे तो काफी देर बाद उत्तर मिलेगा कि आप पहले शिकायत दर्ज कराइए तभी कार्रवाई होगी। साफ है कि राजधानी कानून व्यवस्था की गंभीर समीक्षा की मांग कर रही है।



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