केजरीवाल को थप्पड़
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को एक युवक द्वारा जुलूस में थप्पड़ मारना हर दृष्टि से निंदनीय है। इसकी केवल आलोचना ही की जा सकती है।
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ऐसे व्यक्ति की इतनी निंदा होनी चाहिए ताकि आगे कोई अन्य सिरफिरा ऐसा करने की सोच भी न सके। कहना न होगा कि राजनीति में राजनीतिक विचारधारा का विरोध या समर्थन समझ में आता है, लेकिन इस सीमा तक चला जाए कि हिंसा होने लगे तो यह स्वीकार्य नहीं है। इसका हर ओर से विरोध होना चाहिए।
एक खबर यह है कि उसने अपने विधायक से विरोध जताने के लिए ऐसा किया। हालांकि उसी गाड़ी पर विधायक भी खड़े थे लेकिन उनको छुआ तक नहीं। अगर उसे विधायक से इतनी नाराजगी होती तो उसे ही थप्पड़ मारता। कहा जा रहा है कि वह स्थानीय विधायक को ही थप्पड़ मारना चाहता था लेकिन अरविन्द केजरीवाल को देखकर उसका मन बदल गया। वैसे, पुलिस के सामने वह कोई स्पष्ट बयान नहीं दे रहा है। इसलिए स्पष्ट धारणा बनाना अभी संभव नहीं। पकड़े गए थप्पड़मार युवक से जितनी जानकारी आई है, उसके अनुसार वह आप का ही कार्यकर्ता था।
लेकिन पिछले समय से वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का समर्थक हो गया है। उसकी पत्नी ने मीडिया को बताया है कि अरविन्द केजरीवाल जिस तरह नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते हैं, उनसे वह खिन्न था। जो भी हो उसने जान-बूझ कर ऐसा किया। अरविन्द केजरीवाल के बारे में आम तौर कह दिया जाता है कि राजनीति में उन्होंने थप्पड़ खाने का रिकॉर्ड बना दिया है। व्यंग्य की दृष्टि से यह ठीक है, पर इससे थप्पड़मारों को प्रोत्साहन मिलता है। किंतु इस घटना लिए पूरी आम आदमी पार्टी सीधे नरेन्द्र मोदी को जिम्मेवार समझ रहे हैं। यह आपत्तिजनक एवं पाखंड भी है। प्रधानमंत्री मोदी किसी नेता को थप्पड़ क्यों मरवाएंगे? आप इस मामले को अपने चरित्र के अनुसार राजनीतिक मोड़ देने में जुट गई है। केजरीवाल एवं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इसे मोदी द्वारा उनकी हत्या तक करने का आरोप लगा दिया है। इसे वे सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसका मतलब इन्हें इस खतरनाक प्रवृत्ति को रोकने की चिंता नहीं है। इसके बजाय वे इस घटना को अपनी चुनावी राजनीति के लिए भुना रहे हैं। उनका यह आचरण भी निंदनीय है। ऐसी राजनीति का भी पुरजोर विरोध होना चाहिए।
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