नासमझ बयान
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के हवाले से ‘चौकीदार चोर है’ बयान देने पर माफी मांगनी ही पड़ेगी।
![]() नासमझ बयान |
शीर्ष अदालत राहुल गांधी के पहले के हलफनामे से संतुष्ट नहीं हुआ और उसे नकार दिया। अब अदालत में उन्हें लिखित माफीनामा पेश करना होगा। राहुल गांधी देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के बड़े नेता हैं। वह प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं; लेकिन ‘चौकीदार चोर है’ प्रकरण के कारण उनके व्यक्त्वि का कमजोर पक्ष उजागर हुआ है। देश के इतने बड़े और पढ़े-लिखे शिक्षित नेता से यह कैसे अपेक्षा की जा सकती है कि वह अपने हलफनामे में यह कहें कि मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठीक से समझ नहीं पाया और चुनाव के जोश में यह बयान दे दिया। अगर उन्होंने इस तरह का बयान दे भी दिया तो उन्हें अपने इस बयान पर टिके रहने का नैतिक साहस दिखाना चाहिए था। दरअसल, राहुल के पास दो ही चुनावी मुद्दे हैं। एक राफेल विमान सौदा में कथित भ्रष्टाचार और दूसरे न्याय योजना। बेहतर होता कि वह कोई नया मुद्दा तलाशते, क्योंकि राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिल गई है। बावजूद इसके राहुल गांधी अपने चुनावी सभाओं में बेहिचक चौकीदार चोर का नारा लगा रहे हैं। अगर वास्तव में उनके पास इस मामले से संबंधित कोई पुख्ता प्रमाण है तो उसे देश के सामने रखना चाहिए।
बहलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने की अनुमति दे दी है। इस मामले की अगली सुनवाई 10 मई को होगी। गौरतलब है कि भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने राहुल के बयान को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में उनके खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है। आखिर बिना किसी पुख्ता प्रमाण के किसी शख्स को चोर कैसे कहा जा सकता है? यह समझ से परे है कि भाजपा की आखिर कौन सी कमजोरी है कि राहुल गांधी द्वारा लगाए जा रहे नारे ‘चौकीदार चोर है’ के मामले को अदालत में लेकर नहीं जा रही है। यह तो सीधे अवमानना का मामला बनता है। भाजपा मानहानि का दावा भी कर सकती है। इन दिनों चुनाव प्रचार चरम पर है और राहुल का माफी मांगना उनके राजनीतिक कॅरियर को प्रभावित कर सकता है। अगर भाजपा दोबारा सत्ता में आती है तो संभव है यह मसला फिर से खुले ऐसे में राहुल को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
Tweet![]() |