केंद्र को ‘सुप्रीम’ नोटिस

Last Updated 18 Apr 2019 12:30:36 AM IST

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने की इजाजत के लिए दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किए जाने के बाद देश भर में इस पर उसी तरह व्यापक बहस की संभावना बन गई है जैसे तीन तलाक के संदर्भ में कायम हुई थी।


केंद्र को ‘सुप्रीम’ नोटिस

पुणे निवासी एक दंपति ने अपनी याचिका में लिंग भेद के विरु द्ध संविधान का हवाला देते हुए याचिका दायर किया है।

हालांकि कई मुस्लिम नेता सामने आ गए हैं, जो कह रहे हैं कि इस तरह का प्रतिबंध नहीं है, पर व्यवहार में यह साफ दिखता है। याचिका दायर करने वाले जुबैर ने कहा कि चार वर्ष पहले उसने अपने मोहल्ले की मस्जिद में महिलाओं को प्रवेश की इजाजत के लिए आवेदन किया किंतु मस्जिद ने अनुरोध खारिज कर दिया। यही स्थिति देश भर में है। कुछ जगह महिलाएं अगर मस्जिद में जातीं हैं तो उन्हें बिल्कुल अलग रहना पड़ता है।

याचिका में कहा गया है कि गरिमा के साथ जीना और समता सबसे अधिक पवित्र मौलिक अधिकार है और किसी भी मुस्लिम महिला के मस्जिद में प्रवेश पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। हालांकि पीठ की इस टिप्पणी से सहमत होना कठिन है कि सबरीमाला मामले में फैसले की वजह से ही इसकी सुनवाई होगी। दो-चार मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी और सभी मस्जिदों में पाबंदी में अंतर है।

वस्तुत: इस मामले की अलग से इस आलोक में सुनवाई होनी चाहिए कि क्या इस्लाम में ऐसी कोई पाबंदी है? शीर्ष अदालत फैसला दे चुका है कि मस्जिद इस्लाम का अंग नहीं है और नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद की जरूरत नहीं। बावजूद व्यवहार में अगर मुस्लिम समुदाय मस्जिद को नमाज अदा करने का स्थान मानता है तो यह केवल पुरुषों के लिए कैसे हो सकता है? याचिकाकर्ताओं की ओर से ही न्यायालय के पूछने पर बताया गया कि मुस्लिम महिलाओं को पवित्र मक्का की मस्जिद में भी प्रवेश की अनुमति है।

पीठ ने याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता से यह सवाल भी किया कि क्या आप संविधान के अनुच्छेद 14 का सहारा लेकर दूसरे व्यक्ति से समानता के व्यवहार का दावा कर सकते हैं? अनुच्छेद 14 व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता का अधिकार देता है। इसके जवाब में कहा गया कि भारत में मस्जिदों को सरकार से लाभ और अनुदान मिलते हैं। इसी आधार पर न्यायालय ने केंद्र को नोटिस जारी किया है। हम मानते हैं कि यह केवल सरकार के स्तर का मामला नहीं है। मुस्लिम समुदाय के अलग-अलग जो शीर्ष संगठन हैं, उनका मत भी जानना चाहिए।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment