सत्ता में आम आदमी
गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का जाना पूरे देश के लिए दुख का कारण बना है, तो यह स्वाभाविक है। पर्रिकर भारतीय राजनीति में बिल्कुल अकेली ऐसी शख्सियत थे जिनमें आप गहरे अनुसंधान से भी कोई नुक्स नहीं निकाल सकते थे।
सत्ता में आम आदमी |
मुख्यमंत्री से रक्षा मंत्री तक सादगी, सरलता, सहजता और सुलभता के उनके संस्कार में कोई मंत्री नहीं आया।
उनको इसीलिए भारतीय राजनीति में अनोखा व्यक्तित्व माना जाता है अपने सभी दायित्व सही तरह निभाते हुए भी निजी जीवन में वे हमेशा देश के लिए आम आदमी बने रहे। मुख्यमंत्री के रूप में कार्यालय तक स्कूटर से भी आने में उनको हिचक नहीं थी, तो रास्ते में यदि किसी से बात करना हो तो रुकने में भी समस्या नहीं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रतिबद्ध कार्यकर्ता की भूमिका निभाते हुए प्रदेश में ईसाइयों एवं मुसलमानों का भी प्रिय पात्र होकर उन्होंने ऐसी रेखा खींची जो भाजपा के अनेक नेताओं के लिए आचरण की प्रेरणा देने वाली थी। जब से उनके अग्नाशय कैंसर का पता चला वह जान चुके थे कि उनका अंत करीब है। किंतु उनके चेहरे पर किसी ने शिकन नहीं देखी।
पहले की तरह ही आत्मविश्वास एवं उत्साह से उनका काम करना करोड़ों देशवासियों के लिए प्रेरणा देने वाला था। हालांकि वे जब भी सामने आए उनके शरीर चिकित्सीय उपकरणों से लैश थे। नासोगेस्ट्रिक ट्यूब उनके चेहरे पर लगी रहती थी। लेकिन इसी स्थिति में देश ने उनके हाउ’ज द जोश का नारा भी सुना। उन्होंने कहा भी कि मैं अपना जोश आपको स्थानांतरित करता हूं।
ऐसी जिजीविषा विरलों में होती है। इन सबके साथ गोवा के विकास के लिए उनके विजन तथा क्रियान्वित की गई योजनाओं तथा रक्षा मंत्री रहते रक्षा क्षेत्र में व्यापक सुधार और आधुनिकीकरण के लिए साहसिक कदमों से उनके एक कुशल नेता और प्रशासक होने का प्रमाण मिलता है। जिस राफेल को राजनीतिक बवंडर बनाया दिया गया है, उसके सौदे पर उन्हीं के हस्ताक्षर हैं।
राजनीति में प्रतिस्पर्धी की आलोचना करते हुए निजी तीखी टिप्पणियों से लंबे राजनीतिक जीवन में अपने को बचाए रखना वर्तमान राजनीतिक कटुता के दौर में कितने लोग कर पाते हैं। तो एक साथ इतने गुणों से संपन्न नेता का इस तरह चला जाना केवल भाजपा और गोवा की नहीं, पूरे देश की क्षति है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।
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