उत्तराखंड: पुष्कर धामी की जगह कौन होगा मुख्यमंत्री का चेहरा? जानिए CM की रेस में किन नेताओं के नाम शामिल

Last Updated 11 Mar 2022 12:38:27 PM IST

उत्तराखंड में बीजेपी 47 सीटों के प्रचंड बहुमत के साथ एक बार फिर से सत्ता में वापस आ गई है। नए मुख्यमंत्री के चुनाव को लेकर भाजपा के अंदर लगातार हलचल तेज है।


हालांकि, इस बड़ी जीत में अहम भूमिका निभाने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गए हैं। नए मुख्यमंत्री के चुनाव को लेकर भाजपा के अंदर लगातार हलचल तेज है। भाजपा नेताओं की मानें तो किसी विधायक को ही मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।

ऐसे में सबसे आगे जो नम चल रहा है, वो प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत का है जिनको संगठन का भी काफी अनुभव है। वो सरकार का अनुभव भी पिछले 5 सालों में बखूबी ले चुके हैं।पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के करीबी धन सिंह रावत को लेकर भाजपा में चचार्एं बहुत तेज हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के करीबी होने का फायदा धन सिंह रावत को मिल सकता है। संघ के करीब होने का फायदा भी धन सिंह रावत को मिल सकता है।

धन सिंह रावत को अगर मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है तो ऐसे में सतपाल महाराज को भी भाजपा मुख्यमंत्री बना सकती है। सतपाल महाराज सबसे पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे और उसके बाद उत्तराखंड से लेकर कई राज्यों के चुनाव प्रचार में भी वह जुटे रहे। पिछले 5 साल के कार्यकाल में तीन बार मुख्यमंत्री बदलने के दौरान सतपाल महाराज के नाम पर चचार्एं तो खूब हुई लेकिन उनको कुर्सी नहीं मिल पाई।

सतपाल महाराज के लिए सबसे बड़ा फायदा उनकी संघ प्रमुख मोहन भागवत से करीबी है। मोहन भागवत से करीब होने के चलते सतपाल महाराज को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। खुद मोहन भागवत भी सतपाल महाराज के लिए कई बार प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह से तक वार्ता कर चुके हैं।

अगर विधायकों में से सीएम नहीं बनाया जाता है तो ऐसे में पार्टी अनुभवी पूर्व सीएम डॉ रमेश पोखरियाल निशंक पर भी दांव खेल सकती है। ब्राह्मण होने के चलते पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में ब्राह्मण सीएम बना कर उत्तर प्रदेश तक संदेश देना चाहेंगे। संगठन और सरकार का बेहतर अनुभव होने के चलते रमेश पोखरियाल निशंक के नाम पर भी मुहर लग सकती है।

डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के दिल्ली में भाजपा आलाकमान से बहुत मजबूत संबंध है। 2019 में हरिद्वार से लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद मिशन को भारी-भरकम मंत्रालय देने से साफ पता चलता है कि दिल्ली में उनकी पकड़ कितनी मजबूत है।

आईएएनएस
देहरादून


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