केदारनाथ के कपाट 16 को होंगे बंद

Last Updated 26 Oct 2020 02:05:28 AM IST

विजयादशमी पर हिंदुओं के प्रसिद्ध धामों के कपाट बंद होने की तिथियां घोषित तय कर दी गई हैं। इसके अनुसार केदारनाथ मंदिर के कपाट आगामी 16 नवम्बर को शीतकाल में छह माह के लिए बंद कर दिए जाएंगे।


शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेर मंदिर में तिथि तय करते वेदपाठी एवं हकूकधारी (25आरडीपी1)

इसके अलावा बदरीनाथ के कपाट 19, गंगोत्री के कपाट 15 तथा यमुनोत्री के कपाट 16 नवम्बर को बंद होंगे। वहीं तुंगनाथ मंदिर के कपाट चार तथा मदमहेर के कपाट 19 नवम्बर को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
विजयदशमी पर मंदिरों के कपाट बन्द होने की तिथियां इनके शीतकालीन गद्दीस्थलों में पंचाग गणना के अनुसार वेदपाठियों, देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी-कर्मचारियों व हक-हकूकधारियों की मौजूदगी में घोषित की गई। भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेर मन्दिर में पंचाग गणना के अनुसार केदारनाथ मंदिर के कपाट आगामी 16 नवम्बर को भैयादूज पर सुबह आठ बजकर 30 मिनट पर बन्द कर दिए जाएंगे। इसके बाद भगवान केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेर मन्दिर में विराजमान होगी। मदमहेर के कपाट 19 नवम्बर को सुबह सात बजकर 30 बजे शीतकाल के लिए बन्द होंगे।

कपाट बंद होने पर भगवान मदमहेर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेर मन्दिर में विराजमान होगी। तुंगनाथ मंदिर के शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कडेय तीर्थ मक्कूमठ में पंचाग गणना के अनुसार तय किया गया कि मंदिर के कपाट चार नवम्बर को 11 बजकर 30 मिनट पर बन्द होंगे। इसके बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कडेय तीर्थ मक्कूमठ में विराजमान होगी। इस दौरान देवस्थानम बोर्ड अधिकारी, कर्मचारी व हक-हकूकधारी मौजूद थे। वहीं बदरीनाथ के कपाट आगामी 19 नवम्बर को अपराह्न 3.35 बजे बंद होंगे। रविवार को बदरीनाथ मंदिर परिसर मे आयोजित धार्मिक सभा मे धर्माधिकारियों व वेदपाठियों ने पंचांग गणना के बाद कपाट बंद करने का मुहूर्त निकाला। गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों ने भी इन मंदिरों के कपाट बंद होने की तिथि घोषित कर दी है। इसके अनुसार गंगोत्री के कपाट आगामी 15 नवम्बर को दोपहर 12.15 बजे तथा यमुनोत्री के कपाट 16 नवम्बर भैयादूज पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। अगले छह माह तक मां गंगा की डोली मुखबा व मां यमुना की डोली खरसाली मंदिर में छह माह के लिए विराजमान होगी।

 

सहारा न्यूज ब्यूरो
ऊखीमठ/जोशीमठ/उत्तरकाशी


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