अमित शाह बोले, यूपी चुनाव लाने जा रहा है देश की राजनीति में बड़ा बदलाव

Last Updated 18 Feb 2017 12:44:01 PM IST

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी की ‘सुनामी’ आने का दावा करते हुए कहा कि राज्य का विधानसभा चुनाव देश की राजनीति में बहुत बड़ा बदलाव लाने जा रहा है.


भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह

शाह ने गोरखपुर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में भाजपा की लहर नहीं बल्कि सुनामी आने वाली है और उत्तर प्रदेश का चुनाव देश की राजनीति में बहुत बडा बदलाव लाने जा रहा है.’’

उन्होंने कहा कि पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जब चुनाव शुरू हुआ था, तब लगता था कि भाजपा की लहर है लेकिन जैसे जैसे चुनाव पूर्वांचल की ओर बढ़ रहा है, लगने लगा है कि भाजपा की लहर नहीं बल्कि सुनामी आने वाली है.

सपा और कांग्रेस के गठबंधन को ‘अपवित्र’ करार देते हुए भाजपा अध्यक्ष बोले, ‘‘सपा-कांग्रेस का गठबंधन दलों और विचारधाराओं का गठबंधन नहीं है बल्कि ये बड़ा अपवित्र गठबंधन है क्योंकि जिन लोहिया जी का पूरा जीवन कांग्रेस के विरोध में रहा, (उन्हें मानने वाली) सपा ने चुनाव जीतने के लिए आज कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है.’’

शाह यहीं नहीं रूके, उन्होंने कहा, ‘‘यह दो भ्रष्टाचारी परिवारों का गठबंधन है. इस गठबंधन के साथ ही अखिलेश (यादव) ने अपनी हार स्वीकार कर ली है. अगर विश्वास होता कि अपने पांच साल के कार्यकाल के बूते वह फिर से सत्ता में आ सकते हैं तो कभी गठबंधन नहीं करते. उनमें आत्मविश्वास का अभाव है. जीत के विश्वास का अभाव है.’’

उत्तर प्रदेश की लचर कानून व्यवस्था को लेकर सपा सरकार को आड़ा हाथ लेते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्डस ब्यूरो के आंकडों पर नजर डालें तो अपराधों के मामले में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है. चाहे किसान हो, गरीब, महिला या व्यापारी हो, सभी वर्ग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर उत्तर प्रदेश में पांच साल में कुछ नहीं हुआ. भ्रष्टाचार चरम पर है और भर्ती एवं खनन घोटालों सहित तमाम घोटाले हुए. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने खनन माफिया (अखिलेश सरकार के कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति) को फिर से टिकट देकर साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए उनमें कोई इच्छाशक्ति नहीं है.

इस कडी में शाह ने एक महिला द्वारा गायत्री पर बलात्कार के आरोप को लेकर शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय की ओर से राज्य पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश, मथुरा के जवाहरबाग कांड और मुजफ्फरनगर दंगों का उल्लेख किया.

इस सवाल पर कि जब भाजपा दुनिया का सबसे बडा राजनीतिक दल और कैडर आधारित पार्टी है तो उसे अन्य दलों से आये लोगों को टिकट देने की आवश्यकता क्यों पड़ी, शाह ने कहा कि जहां तक बाहर से प्रत्याशी लेने का सवाल है, तो उत्तर प्रदेश में पार्टियां बुरी तरह बिखर रही हैं. चुनाव से पहले किसी को पार्टी में जोड़ना कोई बुरी बात नहीं है. जो भी आये हैं, वे जनादेश के लिए जा रहे हैं और फैसला जनता को करना है.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय तीन नये राज्यों के गठन के परिप्रेक्ष्य में पूर्वांचल को अलग राज्य बनाने से जुड़े प्रश्न पर शाह ने कहा, ‘‘अभी ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है और ना ही इस बारे में कोई नीतिगत विचार हुआ है.’’

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा कि गोवा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है. पंजाब में कांटे की टक्कर है जबकि मणिपुर की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है.

उत्तर प्रदेश में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति पैदा होने पर क्या करेंगे, इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘कोई हंग एसेंबली (त्रिशंकु विधानसभा) नहीं होगी. हम दो तिहाई बहुमत से सरकार बनाएंगे. सीटवार सीधा मुकाबला है. कहीं सपा है तो कहीं बसपा है, मगर हम सब जगह पर हैं.’’

पूर्वांचल में दिमागी बुखार की समस्या और उससे होने वाली मौतों पर ध्यान आकृष्ट किये जाने पर शाह ने कहा कि दिमागी बुखार के लिए सबसे बड़ी लड़ाई स्थानीय भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने लड़ी है.

उन्होंने इस मुद्दे को भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग के समक्ष उठाकर इस पर अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) का काम शुरू किया. गोरखपुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बनने पर उसमें दिमागी बुखार पर नया विंग (प्रकोष्ठ) बनाया जाएगा.

जब पूछा गया कि अन्य दलों पर परिवारवाद का आरोप मढने वाली भाजपा भी अपने सांसदों और मंत्रियों के रिश्तेदारों को टिकट दे रही है, तो शाह का जवाब था, ‘‘कांग्रेस में जन्म के साथ ही प्रधानमंत्री या अध्यक्ष तय हो जाते हैं. हमारे यहां नहीं होते. मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का बेटा भी मुख्यमंत्री बनता है. इसे परिवारवाद कहते हैं.’’

उन्होंने भाजपा की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, ‘‘किसी सांसद का बेटा अगर 15 साल काम करके विधायक का चुनाव लड़े तो इसे परिवारवाद नहीं कहा जाएगा. हमारे यहां मुख्यमंत्री का बेटा मुख्यमंत्री नहीं बनता. बिना योग्यता हमारे यहां टिकट नहीं मिलता.’’

भाषा


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