उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017: पहले चरण में 15 जिलों की 73 सीटों पर कल होगा मतदान

Last Updated 10 Feb 2017 01:37:08 PM IST

उत्तर प्रदेश विधानसभा के महत्वपूर्ण चुनावों में पहले चरण के लिये शनिवार को पश्चिमांचल के 15 जिलों की कुल 73 सीटों पर मतदान होगा.


पहले चरण का मतदान कल (फाइल फोटो)

मुस्लिम बहुल इलाकों में होने वाले इस चरण के मतदान में कई राजनीतिक दिग्गजों के दमखम की परीक्षा होगी.
  
निर्वाचन आयोग के अनुसार पहले चरण के चुनाव में शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, बुलन्दशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, एटा और कासगंज जिलों में मतदान होगा.
  
पहले चरण के चुनाव में एक करोड़ 17 लाख महिलाओं समेत कुल दो करोड़ 60 लाख मतदाता कुल 839 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. मतदान के लिये 26,823 केन्द्र बनाये गये हैं. स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान के लिये पर्याप्त केन्द्रीय बल तथा पुलिस बल की तैनाती की जाएगी.

पहले चरण में मतदाताओं की संख्या के लिहाज से गाजियाबाद का साहिबाबाद सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है, वहीं एटा का जलेसर सबसे छोटा क्षेत्र है. आगरा दक्षिण सीट से सबसे ज्यादा 26 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं हस्तिनापुर से सबसे कम छह प्रत्याशी मैदान में हैं.
  
राज्य में 11 फरवरी से आठ मार्च के बीच सात चरणों में मतदान होगा.
  
पहले चरण में विभिन्न पार्टियों के कई छत्रपों की प्रतिष्ठा दांव पर होगी. नोएडा सीट पर केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका कैराना से, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा और कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रदीप माथुर मथुरा सीट से तथा भाजपा के विवादास्पद विधायक संगीत सोम और सुरेश राणा क्रमश: सरधना और थाना भवन से चुनाव लड़ रहे हैं.

भाजपा के पूर्व प्रान्तीय अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी (मेरठ), राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे दामाद राहुल सिंह :सिकन्दराबाद: और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के पौत्र संदीप सिंह (अतरौली) की प्रतिष्ठा भी दांव पर है.
   
इस चरण में ज्यादातर उन विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. इस चरण में वर्ष 2013 के दंगों का दंश झेलने वाले मुजफ्फरनगर एवं शामली के जिलों में भी मतदान होगा. वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इन क्षेत्रों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था.
   
पहले चरण का चुनाव खासकर बसपा अध्यक्ष मायावती और उनकी पार्टी के लिये अग्नि परीक्षा जैसा होगा. मायावती इस बार चुनाव में दलित-मुस्लिम वोट बैंक पर भरोसा करके चुनावी नैया पार लगाने का मंसूबा बांध रही हैं.


   
मायावती ने इस बार कुल 403 में से सबसे ज्यादा 99 मुसलमानों को चुनाव का टिकट दिया है. पहले चरण का चुनाव यह तय करेगा कि बसपा की यह रणनीति कितनी कारगर होती है और क्या वह वर्ष 2012 के मुकाबले मुस्लिम वोट बैंक में और गहरी सेंध लगा पाती है या नहीं.
   
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कुल 136 सीटों में से सपा को 58 और बसपा को 39 सीटें मिली थीं. यह देखने वाली बात होगी कि सपा पश्चिमांचल में वर्ष 2012 जैसी कामयाबी दोहरा पायेगी या नहीं.
   
पहले दो चरणों में मतदाताओं खासकर अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाताओं का रझान चुनाव के रख को तय कर सकता है. इससे तय हो जाएगा कि चुनावी मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है या भाजपा और बसपा के बीच, अथवा यह त्रिकोणीय लड़ाई होगी.
   
चूंकि पहले चरण का चुनाव मुस्लिम बहुल इलाकों में हो रहा है, इसलिये असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली एआईएमआईएम भी असर डाल सकती है. प्रदेश विधानसभा का पहले चरण का चुनाव जिन क्षेत्रों में होगा, उनमें से कई संवेदनशील हैं. मुजफ्फरनगर के 887 में से 600 मतदान केन्द्र संवेदनशील हैं. यहां पैनी नजर रखने के लिये वीडियो कैमरे लगाये गये हैं.
  
वर्ष 2013 में दंगों से गुजरने वाले मुजफ्फरनगर तथा शामली में अर्धसैनिक बलों के करीब छह हजार जवान तैनात किये गये हैं.
  
मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने कहा कि कैराना में जो भी लोग किन्हीं कारणों से पलायन कर गये हैं, अगर वे अपने क्षेत्र में वोट डालना चाहेंगे तो स्थानीय प्रशासन उन्हें पूरी सुरक्षा तथा मदद मुहैया करायेगा.
  
जैदी ने कहा कि शाम पांच बजे तक मतदान केन्द्र में पहुंचने वाले हर मतदाता को वोट डालने दिया जाएगा, चाहे इसके लिये निर्वाचनकर्मियों को कुछ देर ज्यादा ही क्यों ना काम करना पड़े.
  
उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान मतदाताओं में शराब का वितरण रोकने के लिये आबकारी विभाग ने प्रदेश से जुड़ी अन्तरराज्यीय तथा नेपाल से सटी अन्तरराष्ट्रीय सीमा पर चौकियां बनाई हैं.
  
जैदी ने कहा कि आयोग ने चुनाव से सम्बन्धित एक पुलिस प्रकोष्ठ गठित किया है जो व्हाट्सऐप तथा अन्य सोशल मीडिया माध्यमों पर भेजे जाने वाले संदेशों पर नजर रखेगा.
  
उन्होंने कहा कि मतदान केन्द्रों में किसी चुनावकर्मी की तबीयत खराब होने पर उसे हवाई मार्ग से ले जाने के लिये हेलीकाप्टर का इंतजाम किया जाएगा और नकदी रहित इलाज की व्यवस्था होगी.

 

भाषा


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