बुंदेलखंड : आरएसएस ने संभाली भाजपा के प्रचार की कमान

Last Updated 07 Feb 2017 07:28:18 PM IST

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी धीरे-धीरे बढ़ रही है. चुनावी गोटी लाल करने के लिए तमाम राजनीतिक दल हर तरह के उपाय कर रहे हैं और हर किसी से मदद ली जा रही है.


(फाइल फोटो)

बुंदेलखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को चुनावी वैतरणी पार कराने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सक्रिय है. स्वयंसेवक नाराज चल रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं से लेकर मतदाताओं तक को मनाने में जुट गए हैं.

हालांकि बुंदेलखंड क्षेत्र में भाजपा को 1991 के बाद से विधानसभा चुनाव में बड़ी सफलता नहीं मिली है, इसलिए इस बार भाजपा पुरजोर कोशिश कर रही है. नामांकन पत्र भरे जाने के बाद उम्मीदवारी को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं का असंतोष अब भी खत्म नहीं हुआ है. इसको लेकर पार्टी आलाकमान और आरएसएस भी चिंतित है.

वरिष्ठ पत्रकार बंशीधर मिश्र ने आईएएनएस से कहा, "लोकसभा चुनाव में संघ ने भाजपा के लिए अपनी पूरी क्षमता का उपयोग किया था. विधानसभा चुनाव में भी संघ सक्रिय हुआ है, क्योंकि उसे इस बात का एहसास है कि अगर इस राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में नहीं आई तो वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा."

मिश्र आगे कहते हैं, "संघ का देश में निचले स्तर तक नेटवर्क है, उसके पास समर्पित कार्यकर्ता हैं. अगर संघ मतदाताओं को घर से निकालने में सफल हो गया तो यह भाजपा के लिए बड़ा काम होगा."

बुंदेलखंड क्षेत्र में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिले आते हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश के सात जिले हैं, जहां विधानसभा की 19 सीटें हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र की सभी चारों सीटें भाजपा की झोली में गई थीं, जबकि साल 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 19 में से महज दो सीटों पर सफलता मिली थीं, जिनमें से एक सीट चरखारी उप-चुनाव में हार गई थी. इस तरह 19 में से सिर्फ एक सीट झांसी ही भाजपा के पास रह गई थी.

इस बार बुंदेलखंड में चुनाव ज्यादा रोचक होने की संभावना है, क्योंकि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ रही हैं, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैं.

संघ के एक पदाधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, "संघ अपने सहयोगी संगठनों के साथ बैठकें कर रहा है. इन बैठकों में संघ के प्रांत कार्यवाह से लेकर नगर कार्यवाह और अन्य पदाधिकारी हिस्सा ले रहे हैं. बैठक में भाजपा के पदाधिकारियों की मौजूदगी में मतदान केंद्र से लेकर क्षेत्रवार उम्मीदवार की स्थिति पर चर्चा की जा रही है. इन बैठकों के मंच से भाजपा के लोगों को दूर रखा जा रहा है."



संघ के पदाधिकारी के मुताबिक, इस समय संघ के लिए सबसे बड़ी चुनौती असंतुष्ट को मनाने की है, क्योंकि कई नेता उम्मीदवार बनना चाहते थे, जिन्हें सफलता नहीं मिली तो वे असंतुष्ट हैं. इन नेताओं के साथ बैठकें हो रही हैं. समन्वय बनाया जा रहा है. उन्हें समझाया जा रहा है और भाजपा विरोधी फैसलों के नतीजे भी बताए जा रहे हैं.

सूत्रों के मुताबिक, संघ और अनुषंगिक संगठनों के कार्यकर्ता सक्रिय हो गए हैं. वे गांव-गांव जाकर लोगों के बीच नोटबंदी से देश को होने वाले फायदे गिना रहे हैं. साथ ही वर्तमान की सपा सरकार की कमियां और सत्ताधारी यादव परिवार में चले विवाद से भी उन्हें अवगत करा रहे हैं.

आईएएनएस


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