प्रयागराज में CJI गवई बोले- जब भी देश पर संकट आया, देश एकजुट और मजबूत रहा; इसका श्रेय संविधान को दिया जाना चाहिए

Last Updated 31 May 2025 03:05:17 PM IST

भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई ने शनिवार को कहा कि देश पर जब भी संकट आया उसने मजबूती और एकजुटता के साथ उसका सामना किया और इसका “श्रेय संविधान को दिया जाना चाहिए’’।


यहां इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 680 करोड़ रुपये की लागत से नवनिर्मित अधिवक्ता चैंबर भवन और मल्टी लेवल पार्किंग का उद्घाटन करने के बाद कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गवई ने कहा कि न्यायपालिका का मौलिक कर्तव्य देश के उस आखिरी नागरिक तक पहुंचना है जिसे न्याय की जरूरत है।

उन्होंने यह भी कहा कि विधायिका और कार्यपालिका का भी यही कर्तव्य है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “जब भी संकट आया, भारत एकजुट और मजबूत रहा। इसका श्रेय संविधान को दिया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “भारतीय संविधान लागू होने की 75 वर्ष की यात्रा में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका ने सामाजिक और आर्थिक समानता लाने में बड़ा योगदान दिया है। कई ऐसे कानून लाए गए जिसमें जमीदार से जमीन लेकर भूमिहीन व्यक्तियों को दी गई।”

उन्होंने कहा, “समय समय पर इन कानूनों को चुनौती दी गई। 1973 से पहले उच्चतम न्यायालय का विचार था नीति निर्देशक सिद्धांत (डायरेक्टिव प्रिंसिपल) और मौलिक अधिकारों के बीच टकराव की स्थिति बनेगी तो मौलिक अधिकार ऊपर होगा।”

गवई ने कहा, “1973 में 13 न्यायाधीशों का निर्णय आया कि संसद को संविधान में संशोधन का अधिकार है और इसके लिए वह मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है, लेकिन उसके पास संविधान के मूल ढांचे में बदलाव करने का अधिकार नहीं है।”

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इस पीठ ने यह भी कहा था कि मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक सिद्धांत दोनों ही संविधान की आत्मा हैं। ये दोनों संविधान के स्वर्ण रथ के दो पहिए हैं जिसमें से यदि एक पहिया रोको तो पूरा रथ रुक जाएगा।

उन्होंने कहा, “मैं हमेशा कहता रहा हूं कि बार और बेंच एक सिक्के के दो पहलू हैं। जब तक बार और बेंच साथ मिलकर काम नहीं करते तब तक न्याय के रथ को आगे नहीं बढ़ा सकते। आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पूरे देश के लिए एक अच्छा आदर्श दिया है जिसमें बार के लिए (परिसर निर्माण हेतु) न्यायाधीशों ने 12 बंगले खाली कर दिए और अपने वकील भाइयों की सुविधा का ध्यान रखा।”

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “अधिवक्ताओं की समस्याओं को दूर करने के लिए प्रदेश और केंद्र की सरकार सतत प्रयासरात है। इस दिशा में सात जनपदों में परिसर बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है और इसके लिए 1700 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।”

मुख्यमंत्री ने कहा, “सरकार ने अधिवक्ता निधि की राशि 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी है और इसके पात्र अधिवक्ताओं की आयु सीमा भी 60 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष कर दी गयी है। इसके लिए भी 500 करोड़ रुपये की निधि दी गयी है।”

प्रयागराज महाकुंभ के आयोजन में उच्च न्यायालय की भूमिका रेखांकित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा, “प्रयागराज महाकुंभ का आयोजन इतना सफल इसलिए हो सका क्योंकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने किसी परियोजना पर रोक नहीं लगाई।”

उद्घाटन समारोह में उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी, न्यायमूर्ति पंकज मिथल, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय भी मौजूद थे।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में निर्मित मल्टीलेवल पार्किंग में 3,835 वाहनों की पार्किंग क्षमता है और साथ ही 2,366 चैंबर बनाए गए हैं। इस 14 मंजिला भवन के भूमिगत तल और भूतल सहित पांच मंजिल पार्किंग के लिए आरक्षित हैं। वहीं छह मंजिल अधिवक्ताओं के चैंबर के लिए समर्पित हैं। इस भवन में 26 लिफ्ट, 28 एस्कलेटर और चार ट्रैवलेटर्स बनाए गए हैं।
 

भाषा
प्रयागराज


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