Gyanvapi Case: ज्ञानवापी में पूजा व भोजशाला में सर्वेक्षण पर रोक से इनकार

Last Updated 02 Apr 2024 10:01:16 AM IST

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) के दक्षिणी तहखाने में हिंदू पक्ष के पूजा करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और मसाजिद इंतजामिया कमेटी (Masjid Arrangement Committee) की याचिका पर काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।


ज्ञानवापी में पूजा व भोजशाला में सर्वेक्षण पर रोक से इनकार

शीर्ष अदालत ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में नमाज अदा करने को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। उच्चतम न्यायालय ज्ञानवापी मसाजिद इंतजामिया कमेटी की नयी याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने की अनुमति देने संबंधी अधीनस्थ अदालत के फैसले को बरकरार रखा गया था।

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने पुजारी शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास से भी मसाजिद कमेटी की याचिका पर 30 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा है। शीर्ष अदालत की पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं और वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली मसाजिद इंतजामिया कमेटी की याचिका पर सुनवाई कर रही है।

उच्च न्यायालय ने 26 फरवरी को कमेटी की उस अर्जी को खारिज कर दिया था जिसमें 31 जनवरी को जिला अदालत द्वारा तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा-पाठ करने की अनुमति दी गई थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मसाजिद इंतजामिया कमेटी की याचिका को खारिज करते हुए टिप्पणी की कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 1993 में ‘व्यास जी के तहखाने’ में पूजा रोकने का फैसला किया। अदालत ने कहा कि ज्ञानवापी के दक्षिणी तहखाने में पूजा पर रोक का फैसला ‘अवैध’ था।

उधर उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश के धार जिले में मध्ययुगीन संरचना भोजशाला परिसर के ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया लेकिन कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वेक्षण के नतीजे के आधार पर उसकी अनुमति के बिना कोई कार्रवाई न की जाए।  हिंदू और मुस्लिम दोनों एएसआई द्वारा संरक्षित 11वीं सदी के इस परिसर पर अपना दावा जता रहे हैं।

हिंदू भोजशाला को वाग्देवी को समर्पित एक मंदिर मानते हैं जबकि मुस्लिम उसे कमाल मौला मस्जिद बताते हैं।  एएसआई द्वारा सात अप्रैल 2003 को किए एक समझौते के तहत हिंदू मंगलवार को भोजशाला परिसर में पूजा करते हैं जबकि मुस्लिम शुक्रवार को इसमें नमाज पढ़ते हैं।

न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति पी के मिश्रा ने वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 11 मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली ‘मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसायटी’ की याचिका पर केंद्र, मध्य प्रदेश सरकार, एएसआई और अन्य को नोटिस जारी किए।  पीठ ने कहा, ‘चार सप्ताह में नोटिस का जवाब दें। तब तक सर्वेक्षण के नतीजे पर इस अदालत की अनुमति के बगैर कोई कार्रवाई न की जाए।’

समयलाइव डेस्क
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment