इजराइल के शहर हाइफा ने सोमवार को शहीद भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। मेयर ने कहा कि शहर के स्कूलों की इतिहास की किताबों में यह सुधार किया जा रहा है कि शहर को ओटोमन शासन से आजाद कराने वाले अंग्रेज नहीं, बल्कि भारतीय सैनिक थे।

|
हाइफा के मेयर योना याहव ने कहा, ‘‘मैं इसी शहर में पैदा हुआ और यहीं से स्नातक किया। हमें लगातार यही बताया जाता था कि इस शहर को अंग्रेजों ने आजाद कराया था, जब तक कि एक दिन हिस्टोरिकल सोसाइटी के किसी व्यक्ति ने मेरे दरवाजे पर दस्तक नहीं दी और कहा कि उन्होंने गहन शोध किया है और पाया है कि अंग्रेज़ों ने नहीं, बल्कि भारतीयों ने इस शहर को (ओटोमन शासन से) आजाद कराया था।’’
उन्होंने यह टिप्पणी शहीद सैनिकों के भारतीय कब्रिस्तान में उनकी बहादुरी को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित एक समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए की।
याहाव ने कहा, ‘‘हर स्कूल में, हम किताबों में बदलाव कर रहे हैं और कह रहे हैं कि हमें आजाद कराने वाले अंग्रेज नहीं, बल्कि भारतीय थे।’’
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, भालों और तलवारों से लैस भारतीय घुड़सवार रेजिमेंट ने तमाम मुश्किलों के बावजूद माउंट कार्मेल की चट्टानी ढलानों से ओटोमन की सेनाओं को खदेड़कर शहर को आजाद कराया था। अधिकांश युद्ध इतिहासकार इसे ‘‘इतिहास का अंतिम महान घुड़सवार अभियान’’ मानते हैं।
भारतीय सेना हर साल 23 सितंबर को हाइफा दिवस के रूप में मनाती है ताकि तीन बहादुर भारतीय घुड़सवार रेजिमेंट - मैसूर, हैदराबाद और जोधपुर लांसर्स को श्रद्धांजलि दी जा सके, जिन्होंने 1918 में इसी दिन 15वीं इंपीरियल सर्विस कैवलरी ब्रिगेड की एक जबरदस्त घुड़सवार कार्रवाई के बाद हाइफा को आज़ाद कराने में मदद की थी।
भारतीय मिशन और हाइफा नगरपालिका द्वारा यहां भारतीय सैनिकों के कब्रिस्तान में हर साल बहादुर भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है।
| | |
 |