मयूर ग्रुप पर आयकर की छापेमारी, खुफिया कमरे से मिला 3 किलो सोना और करोड़ों रुपये

Last Updated 07 Oct 2023 09:14:56 PM IST

कमरे में लगे शीशे पर संदेह हुआ। उसका पुश बटन टच करते ही पीछे लगा खुफिया कमरे का दरवाजा खुला।जांच की तो 3 करोड़ कैश, सोने के सिक्के, बिस्किट समेत करीब 3 किलो सोना, सैकड़ों जमीनों के दस्तावेज़ सामने आए


उत्तर प्रदेश के कानपुर का चर्चित मयूर ग्रुप इन दिनों आयकर विभाग की रडार पर है। बता दें आयकर विभाग ने मयूर ग्रुप के 35 ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई की है । 150 से ज्यादा आयकर के ऑफिसरों ने अलग अलग जगह इस छापेमारी को अंजाम दिया है।  इस छापेमारी के दौरान आयकर विभाग के सामने इस ग्रुप की दो दर्जन से ज्यादा और कंपनियों के खुलासे भी हुए हैं जांच में ऐसी 20 से 25 कंपनियां होने की बात सामने आ रही है।

 टीम इन कंपनियों की कार्यशैली की जांच कर रही है। बता दें मयूर ग्रुप का करोबार 5 राज्यों में फैला हुआ है। इस ग्रुप का कारोबार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड समेत दिल्ली, मुंबई और कोलकत्ता में भी फैला हुआ है। बड़े पैमाने पर कंपियों से दस्तावेज जब्त किए गए हैं। सूत्रों की मानें तो मयूर ग्रुप ने एक ऐसी कंपनी से 25 करोड़ रुपये का लोन दिखाया है जो असलियत में है ही नहीं। रिकॉर्ड्स के मुताबिक, मयूर ग्रुप ने कोलकाता, मुंबई आदि जगहों की शेल कंपनियों से लोन दिखाए हैं। इसी के साथ कई ऐसी कंपनियों से फर्जी ख़रीदारी दिखाई है जो असल में वजूद में ही नहीं हैं।  आरोप है कि कंपनी अपना काला पैसा रियल एस्टेट में खपा रही थी।

पाम ऑयल की आयात करने वाली इस कंपनी के बैंक ट्रांजेक्श्न को भी खंगाला जा रहा है। यह ग्रुप बहुराष्ट्रीय कंपनी के लिए बिस्कुट, मवेशियों का चारा, रियल इस्टेट विकास, काजू कर्नेल, राफिया प्लांट, डिटरजेंट और साबुन के लिए जॉब वर्क भी करता है।
 

सिविल लाइंस में मौजूद मयूर विला में परिवार के 25 से 30 लोग सथ रहते हैं, मनोज गुप्ता, सुरेश गुप्ता, सुनील गुप्ता समेत 5 भाई और उनके बच्चे इस कारोबार को चलाते हैं  गौरतलब है कि समूह ने ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में समूह के सुनील गुप्ता ने फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र 285 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव दिया है।


सूत्रों की मानें तो मयूर ग्रुप ने रनियां स्थित फैक्ट्री का विस्तार करने के साथ क्षेत्र में सैकड़ों बीघा जमीन भी खरीदी है। सूत्रों के कहना है इसमें से 200 बीघा से ज्यादा जमीन तो बेहद कम समय में खरीदी गई। पता लगाया जा रहा है कि कम समय में भारी निवेश के लिए धन कैसे जुटाया गया?

 

समय डिजि़टल
नई दिल्ली


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