अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच1-बी(H-1B) वीजा के शुल्क में भारी बढ़ोतरी के एलान के बाद कई अमेरिकी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों जो जल्द वापस लौटने के लिए कहा है।

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कामकाजी वीजा पर एक लाख अमेरिकी डॉलर का शुल्क लागू करने की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नयी योजना के बीच आव्रजन मामलों के वकील और विभिन्न कंपनियां अमेरिका से बाहर यात्रा पर गए एच-1बी वीजा धारकों को आगाह करते हुए उन्हें तुरंत वापस लौटने की सलाह दे रहे हैं।
ट्रंप ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत एक सरकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिससे अमेरिका में एच-1बी वीजा पर काम कर रहे भारतीय पेशेवरों पर प्रभाव पड़ेगा।
इस आदेश के तहत ‘विशेष व्यवसाय’ में कार्यरत आप्रवासियों को एच-1बी आवेदनों के साथ 100,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान नहीं करने पर अमेरिका में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह आदेश 21 सितंबर 2025 रात 12:01 बजे से प्रभावी होगा।
आव्रजन मामलों के वकील और कंपनियां उन एच-1बी वीजा धारकों या उनके परिवार के सदस्यों को खतरे के प्रति आगाह कर रहे हैं, जो फिलहाल काम या छुट्टी के लिए अमेरिका से बाहर हैं।
उन्होंने ऐसे लोगों को 21 सितंबर को आदेश लागू होने से पहले अमेरिका लौटने की सलाह दी है। जानकारों ने कहा है कि वे अगले 24 घंटे के अंदर देश लौट आएं, वरना उन्हें वापस लौटने से रोका जा सकता है।
न्यूयॉर्क में रहने वाले प्रख्यात आव्रजन वकील साइसर मेहता ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “जो एच-1बी वीज़ा धारक व्यवसाय या छुट्टियों के लिए अमेरिका से बाहर हैं वे 21 सितंबर की मध्यरात्रि से पहले प्रवेश नहीं कर पाए तो फंस जाएंगे। हो सकता है कि भारत में मौजूद एच-1बी वीजा धारक समयसीमा चूक गए हो, क्योंकि भारत से सीधी उड़ान समय पर नहीं आ पाएगी।”
मेहता ने कहा, ‘भारत में मौजूद एच-1बी वीजा धारक 21 सितंबर, 2025 की मध्यरात्रि से पहले कैलिफोर्निया पहुंच सकते हैं।’
सोशल मीडिया पर उपयोगकर्ताओं ने माइक्रोसॉफ्ट के एक आंतरिक ईमेल के अंश पोस्ट किए, जिसमें कंपनी ने एच1बी वीजाधारक कर्मचारियों और उनके आश्रितों को अमेरिका से बाहर यात्रा करने से बचने और 21 सितंबर से पहले तुरंत वापस लौटने के लिए कहा है।
समझा जा रहा है कि माइक्रोसॉफ्ट ने अपने कर्मचारियों को अमेरिका में ही रहने को कहा है ताकि उन्हें भविष्य में पुनः प्रवेश से न रोका जाए।
‘कैटो इंस्टीट्यूट के इमिग्रेशन स्टडीज’ के निदेशक डेविड बियर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि भारतीय एच-1बी कर्मचारियों ने अमेरिका में ‘अथाह योगदान’ दिया है, जिसमें सैकड़ों अरबों का कर, करोड़ों डॉलर की फीस और खरबों डॉलर की सेवाएं शामिल हैं।
उन्होंने कहा, ‘भारतीय हमारे यहां रहने वाले सबसे शांतप्रति, बुद्धिमान समुदाय में से एक हैं। और हम बदले में क्या दे रहे हैं? बदनामी और भेदभाव…’
उन्होंने कहा, अब ट्रंप ने एक सरकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत आधिकारिक तौर पर इस आबादी को खलनायक घोषित किया गया है। भारतीय संभवतः पूरे अमेरिकी इतिहास में सबसे ज़्यादा क़ानून का पालन करने वाली, मेहनती, शांतिप्रिय समुदाय है!
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