कुछ शर्तों के साथ Mayawati का UCC का समर्थन
बसपा सुप्रीमों मायावती ने यूनिफार्म सिविल कोड यानी समान नागरिक सहिता को लेकर कुछ शर्तों के साथ इस पर सहमति दे दी है।
![]() Mayawati |
मायावती ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर इसकी घोषणा की है। मायावती संविधान की धारा 44 का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी पार्टी यूसीसी की विरोधी नहीं है लेकिन देश में रहने वाले विभिन्न धर्मों के लोगों की भावनाओं की क़द्र करनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के भोपाल में जिस तरह से समान नागरिक सहिता का जिक्र किया था उसके बाद राजनीति गरमा गई थी। आम आदमी पार्टी और उद्धव ठाकरे की पार्टी ने युसीसी का समर्थन किया था। जबकि देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने अपना स्टैंड अभी तक क्लियर नहीं किया है। आज यूसीसी को लेकर पूरे देश में चर्चा हो रही है।
भाजपा ने इस मुद्दे को उछालकर देश की तमाम राजनैतिक पार्टियों को बैकफुट पर ला दिया है। हालांकि इस कानून को बनने में अभी बहुत वक्त लगेगा। संभवतः मानसून सत्र में इस पर संसद की दोनों सदनों में चर्चा होगी। इसको लेकर बिल लाया जाएगा। अगर यह लागू भी होता है तो इसे एक जटिल प्रक्रिया से गुजरना होगा। इस बीच तमाम मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया है। अभी कुछ दिनों पहले विपक्षी नेताओं की बैठक पटना में हुई थी, जिसमें शामिल कई पार्टी के नेताओं ने यूनिफार्म सिविल कोड का समर्थन करके विपक्षी एकता की डोर को मजबूत करने की पहल पर एक तरह से प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।
रविवार को मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी यूसीसी की विरोधी नहीं है वह इसके लागू करने के तौर तरीकों पर सहमत नहीं है। उन्होंने कहा की धारा 44 में इस बात का जिक्र है कि देश में एक समान सिविल कोड बनाया जा सकता है , संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने इसका ज़िक्र किया है, लेकिन उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि इसे जबरन बनाना चाहिए। इसे थोपना नहीं चाहिए। यूसीसी को लेकर बहुत दिनों से देश की पार्टियां खासकर भाजपा मायावती के स्टैंड को लेकर चिंतित थी। मायावती के स्टैंड का इन्तजार कर रही थी। मायावती ने बड़ी सधी हुई प्रतिक्रया दी है, बल्कि मायावती ने यहाँ तक कह दिया है कि वर्तमान सरकार यानी भाजपा इसे गलत तरीके से थोंपने की कोशिश कर रही है, उन्हें उनके तरीके पर आपत्ति है। कुलमिलाकर मायावती ने यह साफ कर दिया है कि उन्हें यूसीसी से कोई परहेज नहीं है। ऐसे में अब देश की अन्य विपक्षी पार्टियां इस पर क्या रुख अपनाने वाली है यह देखने वाली बात होगी।
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