पहले से कर्ज में डूबे पाकिस्तान ने पिछले साल लिया 26.7 अरब डॉलर का ऋण

Last Updated 23 Jul 2025 12:56:56 PM IST

पाकिस्तान ने गत वित्त वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 26.7 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी ऋण हासिल किया। एक खबर में यह जानकारी दी गई है।


समाचार पत्र ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार, इनमें से करीब आधे ऋण पहले प्राप्त ऋणों के ‘रोलओवर’ थे।

खबर में आर्थिक मामलों के मंत्रालय, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) और वित्त मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024-25 में वितरित 26.7 अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज गत वित्त वर्ष 2223-24 की तुलना में थोड़ा अधिक था।

आर्थिक मामलों के मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी विवरण से पता चला कि 26.7 अरब अमेरिकी डॉलर के विदेशी ऋण में से केवल 3.4 अरब अमेरिकी डॉलर या करीब 13 प्रतिशत ही परियोजना वित्तपोषण के लिए प्राप्त हुआ।

विवरण के अनुसार, आर्थिक मामलों के मंत्रालय ने संघीय सरकार के खातों में 11.9 अरब अमेरिकी डॉलर जमा किए, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में करीब 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर अधिक है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 2.1 अरब अमेरिकी डॉलर वितरित किए, जबकि सऊदी अरब, चीन, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत से नकद जमा के रूप में 12.7 अरब अमेरिकी डॉलर की राशि आई।

वित्त मंत्रालय 4.3 अरब अमेरिकी डॉलर का वाणिज्यिक ऋण प्राप्त करने में सफल रहा, जिसमें से अधिकतर पुनर्वित्त चीनी ऋण थे तथा अन्य एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की गारंटी द्वारा समर्थित थे।

एडीबी ने 2.1 अरब अमेरिकी डॉलर के नए ऋण वितरित किए, जो बजट से 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर अधिक है। बहुपक्षीय संस्थानों ने कुल मिलाकर 6.9 अरब अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया जिसमें आईएमएफ से प्राप्त 2.1 अरब अमेरिकी डॉलर शामिल हैं।

विश्व बैंक ने 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर जारी किए और उसने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए किसी नए बजट सहायता ऋण की घोषणा नहीं की है।

इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक ने 71.6 करोड़ अमेरिकी डॉलर वितरित किए। सऊदी अरब ने छह प्रतिशत ब्याज पर सुरक्षित तेल वित्तपोषण सुविधा के तहत 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर दिए जिससे यह काफी महंगा ऋण बन गया। 

वित्त मंत्रालय के अनुसार, पाकिस्तान का ऋण-जीडीपी अनुपात और सकल वित्तपोषण आवश्यकता-जीडीपी अनुपात वर्तमान में टिकाऊ स्तर से ऊपर है। सकल वित्तीय आवश्यकता जीडीपी के 15 प्रतिशत से अधिक होने पर उसे अस्थिर माना जाता है।

वित्त मंत्रालय के पिछले अनुमानों के अनुसार, पाकिस्तान कम से कम अगले तीन वर्ष तक इस सीमा से ऊपर बना रहेगा।

भाषा
इस्लामाबाद


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