उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में मायावती ने कैसे किया खेल?

Last Updated 03 May 2023 06:04:02 PM IST

उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में भाजपा सब पर भारी पड़ती दिख रही है। सपा दूसरे नंबर की पार्टी, जबकि बसपा तीसरे नंबर के साथ अब तक की सबसे ख़राब प्रदर्शन करने वाली पार्टी बनती हुई दिख रही है।


बसपा अध्यक्ष मायावती

उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में भाजपा सब पर भारी पड़ती दिख रही है। सपा दूसरे नंबर की पार्टी, जबकि बसपा तीसरे नंबर के साथ अब तक की सबसे ख़राब प्रदर्शन करने वाली पार्टी बनती हुई दिख रही है। ऐसा अनुमान किसी व्यक्ति या किसी पार्टी के नेता ने नहीं लगाया है, बल्कि तमाम एजेंसियों के सर्वे से ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है। हालांकि सर्वे से पूर्व बसपा सुप्रीमों की एक कोशिश के बाद ही इस तरह के नतीजों की उम्मीद जताई जाने लगीं थीं। उत्तर प्रदेश नगर निकाय के चुनाव दो फेजों में होने हैं। पहले फेज का चुनाव 4 मई यानि वीरवार को होना है। जबकि दूसरे और आखिरी फेज का चुनाव 11 मई को होना है।

नगर निकाय चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने बड़े-बड़े दावे किए थे। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि इस बार के चुनाव में उनकी पार्टी बढ़िया प्रदर्शन करेगी, क्योंकि उनकी पार्टी, रालोद और चंद्रशेखर उर्फ़ रावण की पार्टी आजाद समाज के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। अखिलेश ने दावे के साथ कहा था कि इस बार उनके गठबंधन को दलितों का वोट सबसे ज्यादा मिलेगा। जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत की वजह से जाटों का वोट भी उनके गठबंधन को ज्यादा  मिलेगा।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव मस्लिम वोटरों पर बहुत ज्यादा भरोसा करते हैं। उन्हें पूरा यकीन है कि इस चुनाव में भी उन्हें मुस्लिम वोटरों का समर्थन अन्य पार्टियों से कहीं ज्यादा मिलेगा। लेकिन अखिलेश यादव के सारे दावों की हवा निकाल दी मायावती ने। मायावती ने प्रदेश की मेयर की कुल 17 सीटों में से 11 सीटों पर मुस्लिम प्रत्यासी उतार दिए हैं। संभवतः प्रत्यासी डिक्लियर करने से पहले यह सर्वे हुआ होता तो शायद आंकड़े कुछ अलग बयान करते, लेकिन सबको पता है कि मायावती ने विपक्ष का खेल बिगड़ दिया है। मायावती ने ऐसा क्यों किया ऐसा करने के पीछे उनकी क्या मजबूरी थी,यह तो वही जाने,  लेकिन उन्होंने जयादा मुस्लिमों को टिकट देकर भाजपा का काम आसान जरूर कर दिया है।

अखिलेश यादव जिस मुस्लिम वोटरों पर दावा करते हैं उसमे सेंध लग चुकी है। पिछले कुछ महीनों से वो दलितों को लुभाने में लगे हुए हैं। जबकि आज भी अधिकांश दलित वोटर मायावती के साथ है। चंद्रशेखर की वजह से कुछ दलित वोटर इनके गठबंधन को समर्थन दे सकते हैं। लेकिन उससे उनकी बात नहीं बनने वाली है। ऐसे में चुनाव पूर्व जो सर्वे आये हैं उसे झुठलाने की कोईं खास वजह दिख नहीं रही है। नगर पंचायत और नगर पालिका परिषदों में भले सपा का प्रदर्शन कुछ बेहतर हो जाए, लेकिन नगर निगमों में जो सर्वे की रिपोर्ट आई है फिलहाल वैसा ही होता दिख रहा है ।

जहाँ तक इस चुनाव में मिलने वाले वोट प्रतिशत की बात है तो उसके मुताबिक़ भाजपा को 40 से 50 प्रतिशत सपा को 25 से 35 प्रतिशत और बसपा को 8 प्रतिशत वोट मिलने की संभावना जताई जा रही है। कुल मिलाकर इस चुनाव में बसपा की पोजीसन सबसे खराब रहने की संभावना है। पिछले नगर निकाय चुनाव में बसपा के दो मेयर प्रत्यासी जीत गए थे,लेकिन इस बार विपक्ष के खाते में एक भी मेयर की सीट जाती हुई नहीं दिख रही है।

 

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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