प्रियंका की बस पॉलिटिक्स: यूपी में भाजपा का विकल्प बनने की तैयारी
उत्तर प्रदेश में योगी बनाम प्रियंका की लड़ाई को आगे कर कांग्रेस जहां राज्य के अन्य विपक्षी दलों को पीछे छोड़ने की रणनीति पर चल रही है‚ वहीं राज्य की राजनीति के दंगल में भाजपा से दो-दो हाथ करने की तैयारी में भी है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (फाइल फोटो) |
प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के लिए 1000 बस का कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का सियासी दांव राज्य की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म देने वाला है। कोरोना महामारी से लड़ाई में कांग्रेस पीछे नहीं दिखना चाहती है। विशेषकर गरीबों और मजदूरों की लड़ाई में फंट पर रहकर वह यह संदेश देना चाहती है कि वह समाज के निचले तबके के लोगों के हितों की रक्षा करने में किसी से पीछे नहीं है।
मजदूरों के लिए 1000 बस की पेशकश कर प्रियंका गांधी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। जहां एक तरफ अपने सियासी दांव से वह राज्य की योगी सरकार को घेरना चाहती हैं तो वहीं राज्य में अन्य विपक्षी दलों सपा और बसपा को सियासी मैदान में पीछे छोड़ना चाहती हैं।
उल्लेखनीय है कि जब से प्रियंका ने उत्तर प्रदेश का प्रभार संभाला है वह कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का कोई भी प्रयास छोड़ नहीं रही हैं। फिर चाहे वह सोनभद्र का मामला हो या उन्नाव में रेप पीड़िता या फिर सीएए विरोधी आंदोलन का मामला हो। हर जगह राजनीति की बिसात पर प्रियंका सपा और बसपा से आगे दिखाई पड़ीं।
प्रवासी मजदूरों के मामले में भी जहां अन्य विपक्षी दल उनकी पीड़ा को लेकर औपचारिकता निभाते रहे‚ वहीं प्रियंका गांधी ने बस पॉलिटिक्स से राज्य की जनता विशेषकर गरीबों और मजदूरों को संदेश देने की कोशिश की।
प्रियंका की पेशकश का मकसद समझने में सपा-बसपा को देर नहीं लगी और उसके बाद तो वह भी इस राजनीति में कूद पड़े। प्रियंका की बस पॉलिटिक्स कितना रंग दिखाएगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा‚ लेकिन जिस तरीके से पिछले 3 दिनों में उन्होंने इस मामले को तूल दिया उससे एक बात तो साफ है कि राज्य के सियासी दंगल में प्रियंका गांधी आक्रामक पारी खेलने को तैयार हैं। प्रियंका के इस मास्टर स्ट्रोक से राज्य में विपक्ष की राजनीति का सीन बदल सकता है।
गौरतलब है कि बस पॉलिटिक्स से मुख्यमंत्री योगी और प्रियंका गांधी के बीच पिछले 3 दिन से सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है। प्रियंका मिशन 2022 को पूरा करने के लिए सपा-बसपा को दरकिनार कर योगी सरकार पर हमले का कोई मौका नहीं चूकना चाहती है। वह आम जनता से जुड़े किसी भी मुद्दे पर अन्य विपक्षी दलों से आगे रहकर राज्य में भाजपा के सीधे विकल्प के तौर पर कांग्रेस को पेश करने की रणनीति पर चल रही हैं।
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