हाईकोर्ट ने दिया लखनऊ में सार्वजनिक स्थलों से सीएए विरोधियों के पोस्टर हटाने का आदेश

Last Updated 09 Mar 2020 02:59:16 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को लखनऊ में सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए उन होर्डिंग्स को हटाने के आदेश दिए, जिनमें सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल रहे लोगों को कथित तोड़फोड़ और उपद्रव के आरोपी बताते हुए उनके फोटो और पते प्रकाशित किए हैं।


मुख्य न्यायधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है। अदालत ने कहा, "बिना कानूनी उपबंध के नुकसान वसूली के लिए पोस्टर में फोटो लगाना अवैध है। यह निजता के अधिकार का हनन है। बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाए किसी की फोटो सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शित करना गलत है।"

इसके साथ ही अदालत ने 16 मार्च को अनुपालन रिपोर्ट के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

उपद्रव और तोड़फोड़ करने के आरोपियों के सार्वजनिक पोस्टर लगाए जाने के मामले में लखनऊ के डीएम और कमिश्नर को अविलंब पोस्टर, बैनर व फोटो आदि हटाने के आदेश दिए गए हैं।

इससे पहले रविवार को मुख्य न्यायाधीश माथुर और न्यायमूर्ति सिन्हा की विशेष पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की थी। इसके बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था।

मालूम हो कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लखनऊ में हुए प्रदर्शन के दौरान निजी और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कई लोगों की फोटो सार्वजनिक स्थानों पर लगा दी गई। इसके खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि ऐसा कौन-सा कानून है, जिससे सरकार को सार्वजनिक स्थानों पर फोटो चस्पा करने का अधिकार मिल जाता है।

महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने बताया, "सड़क के किनारे उन लोगों के पोस्टर और होर्डिग लगाए गए हैं, जिन्होंने कानून का उल्लंघन किया है। इन लोगों ने सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है। पूरी प्रक्रिया कानून के मुताबिक अपनाई गई है। उन्हें अदालत से नोटिस जारी किया गया था। अदालत में उपस्थित न होने पर पोस्टर लगाने पड़े।"

 

 

आईएएनएस
प्रयागराज


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