वाराणसी में शिवभक्तों ने खेली चिता भस्म होली
उत्तर प्रदेश की धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगरी वाराणसी में शुक्रवार को गंगा तट के मणिकर्णिक एवं राजा हरिश्चंद्र श्मशान घाटों पर हजारों लोगों ने पारंपरिक तरीके से चिता भस्म की होली खोली।
वाराणसी में चिता भस्म होली |
मान्यता है कि रंगभरी एकदाशी के अगले दिन बाबा विश्वनाथ मणिकर्णिका घाट पर भूत-प्रेत समेत अपने अन्य गणों के साथ चिता भस्म की होली खेलते हैं।
गुरुवार को गौरा के गौना के बाद बाबा विश्वनाथ के यहां की गलियों में घूम-घूम कर अबीर-गुलाल के साथ होली खेलने की प्राचीन परंपरा का निर्वहन किया गया था।
मोक्ष नगरी में मणिकर्णिका घाट श्मशान घाट पर विधि विधान से बाबा की पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद जलती चिताओं आसपास डमरू की थाप तथा ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष के बीच बड़ी संख्या लोगों एक दूसरे को चिता भस्म लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं। मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ खुद यहां आकर भक्तों को अपना आशीर्वाद देते हैं। यही वजह है कि दूर-दूर से श्रद्धालु इस आयोजन में भाग लेना अपना शौभाज्ञ समझते हैं।
राजा हरिश्चंद्र श्मशान घाट पर भी लोगों ने चिता भस्म की होली खोली। इससे पहले बाबा कीनाराम स्थल से हरिश्चंद्र घाट तक ‘बाबा मसान नाथ’ एक शोभा यात्रा निकाली गई जिसमें रनमुंड, घोड़ा, ऊंट, बैंड के साथ हजारों श्रद्धालु शामिल हुए।
इधर, काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) परिसर एवं टाउन हॉल क्षेत्र में धूम-धाम से होली मनायी गई। विश्वविद्यालय एवं यहां स्थित केंद्रीय विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं।
टाउन हॉल के पास कवियों ने ढोलक, हार्मोनियम आदि की धुनों पर होली खेली। कवियों ने व्यंगात्म कविता के माध्यम से आज के नेताओं पर तिखा प्रहार किया।
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