साल में एक बार पुराने कार्यकर्ताओं का करायें मिलन समारोह : मोदी

Last Updated 24 Oct 2019 06:49:07 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को भाजपा कार्यकर्ताओं को सुझाव दिया कि वे पुराने कार्यकर्ताओं की सूची तैयार कर साल में कम से कम एक बार उनका मिलन समारोह करायें।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के कार्यकर्ताओं से वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए संवाद कर रहे थे। उन्होंने कहा, "हमारी पार्टी अचानक नहीं बनी है, चार चार पीढी तक कार्यकर्ताओं ने अथाह परिश्रम किया है। परिवार के परिवार खपा दिये हैं। तब जाकर हमने लोगों का विश्वास पाया है।"        

उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं को सुझाव दिया, "पुराने कार्यकर्ताओं की सूची बनायें। तय करें कि साल में एक बार इन सबका मिलन समारोह करेंगे।"        

मोदी ने कार्यकर्ताओं से कहा कि उन्हें समूह में पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं के घर जाना चाहिए। उनके साथ कार्य करेंगे तो आपके अगल बगल से आपको प्रेरणा मिलेगी। पुराने कार्यकर्ताओं से पार्टी का इतिहास पूछना चाहिए।        

प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी जागरूक कार्यकर्ताओं का काम है कि अगल बगल में जितने परिवार रहते हैं, उन्हें सरकारी योजनाओं के बारे में बतायें। हकदार लोगों को पता नहीं होता कि सरकार उनके लिए कौन सी योजनाएं चला रही है। ऐसे में थोडा सा उनसे संपर्क कर उन्हें बतायें। सरकार की सामाजिक सुरक्षा स्कीमों के बारे में बतायें।        

उन्होंने कहा कि अगर हम देशवासियों की मूलभूत समस्याओं का समाधान करते हैं तो देशवासी देश को आगे बढाने में बहुत बडा काम कर सकते हैं।        

मोदी ने कहा, "काशी की गलियां काशी की आन बान शान हैं। किस प्रकार बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए इन गलियों से गुजरने में मुश्किल हो जाती थी। मां गंगा के दर्शन में भी रूकावटें होती थीं। अतिक्रमण हो गया था।"        

उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम कारिडार से वहां जो बदलाव आ रहा है, उस पर देश के कोने कोने से आने वाले यात्री खुशी व्यक्त करते हैं। इतना बडा काम सरकार या प्रशासन की वजह से संभव नहीं हुआ। तीन सौ परिवारों ने अपनी पुश्तैनी प्रापर्टी सौंपकर योगदान दिया है। काशीवासियों के सहयोग के बिना ये निर्माण संभव नहीं हो सकता था।

       

मोदी ने कहा कि इस प्रक्रिया में दर्जनों प्राचीन मंदिर, जो दबे पडे थे, ये सब बाहर निकलकर आये। इसके कारण नयी काशी की पहचान हुई। अधिकतर लोगों को अब पता चला है कि काशी में बाबा का पूरा दरबार मौजूद है।

भाषा
लखनऊ


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