उप्र के खजाने से भरा जा रहा मंत्रियों का आयकर, पार्टियां स्तब्ध

Last Updated 13 Sep 2019 11:45:31 PM IST

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों व मंत्रियों का आयकर 1981 से ही राज्य के खजाने से भरा जा रहा है। इस चौंकाने वाले रहस्योद्घाटन ने सभी राजनीतिक दलों को झटका दिया है।


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

एक दैनिक समाचार पत्र में शुक्रवार को प्रकाशित एक खबर में कहा गया है कि मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों को गरीब माना गया है। वह अपनी कम आय के कारण आयकर का भुगतान नहीं कर सकते।

दरअसल, उत्तर प्रदेश के मंत्रियों के वेतन, भत्ते और विविध अधिनियम-1981 के तहत एक कानून लागू किया गया था। उस समय मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप (वीपी) सिंह थे।

तब से लेकर अभी तक योगी आदित्यनाथ, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, मायावती, कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, श्रीपति मिश्र, वीर बहादुर सिंह और नारायण दत्त तिवारी सहित 19 मुख्यमंत्रियों ने इस कानून का लाभ उठाया है।

जब इस संबंध में पार्टी नेताओं से संपर्क किया गया तो विभिन्न राजनीतिक दलों का कोई भी प्रवक्ता इस पर टिप्पणी करने के लिए तैयार नहीं हुआ।

समाजवादी पार्टी के एक नेता ने कहा, "पहले हम चर्चा करेंगे और इसके बाद ही इस पर टिप्पणी करेंगे।"

कांग्रेस के एक दिग्गज नेता ने कहा कि हालांकि वी. पी. सिंह सरकार ने कानून बनाया था। मगर इसका अधिकतम लाभ गैर-कांग्रेसी सरकारों ने उठाया है।

उन्होंने कहा, "80 के दशक की शुरुआत में राजनीतिक नेता गरीब पृष्ठभूमि से आए थे और उनका वेतन भी कम था। बाद में आई गैर-कांग्रेसी सरकारों ने मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के वेतन में वृद्धि की। उन्हें इस अधिनियम को रद्द करना चाहिए था।"

भारतीय जनता पार्टी के एक मंत्री ने कहा कि उन्हें अब तक इस गड़बड़ी के बारे में पता ही नहीं था।

उन्होंने कहा, "मेरे पास अपने खातों की जांच करने का समय नहीं है, लेकिन हम देखेंगे कि अब क्या किया जाना चाहिए।"

जब विधानसभा द्वारा यह अधिनियम पारित किया गया था, उस समय वी.पी. सिंह ने सदन को बताया था कि राज्य सरकार को मंत्रियों के आयकर का बोझ उठाना चाहिए, क्योंकि अधिकांश मंत्री गरीब पृष्ठभूमि से हैं और उनकी आय कम है।

उत्तर प्रदेश ट्रेजरी ने वर्ष 1981 से अब तक लगभग सभी मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के आयकर बकाये का भुगतान किया है।

यहां तक कि योगी सरकार के नेताओं का भी पिछले दो वित्तीय वर्षों में ट्रेजरी से ही आयकर जमा किया जा रहा है। योगी और उनके मंत्रिमंडल का आयकर बिल लगभग 86 लाख रुपये था और इसका भुगतान राज्य के खजाने से ही किया गया।



दिलचस्प बात यह है कि चुनावों के दौरान नेताओं द्वारा दायर हलफनामों के अनुसार, उनके पास ज्यादातर करोड़ों रुपये की चल और अचल संपत्ति है।

उत्तर प्रदेश के प्रधान वित्त सचिव संजीव मित्तल ने पुष्टि की है कि मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के आयकर का भुगतान राज्य सरकार ने 1981 अधिनियम के तहत अनिवार्य किया हुआ है।

आईएएनएस
लखनऊ


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