कांग्रेस अपने बलबूते पर लड़ेगी स्थानीय निकाय चुनाव
समाजवादी पार्टी (सपा) से गठबंधन करके उत्तर प्रदेश का पिछला विधानसभा चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस राज्य के स्थानीय निकायों के चुनाव अपने बलबूते पर लड़ेगी.
![]() कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर (फाईल फोटो) |
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने गत 29 अप्रैल को दिल्ली में हुई पार्टी की बैठक में लिये गये इस निर्णय की सोमवार को पुष्टि करते हुए संवाददाताओं को बताया कि पार्टी ने अपने सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद स्थानीय निकाय चुनाव अपने बलबूते लड़ने का फैसला किया है.
इस बीच, सपा ने कांग्रेस के निर्णय पर कहा है कि यह पार्टी अपने निर्णय लेने के लिये स्वतंत्र है, लेकिन सपा से अलग होने पर उसे अपनी हैसियत पता लग जाएगी.
सपा के राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल ने हरदोई में कहा कि अगर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर प्रदेश स्थानीय निकाय चुनाव अपने बलबूते लड़ाना चाहते हैं तो ठीक है, लेकिन उन्हें पता लग जाएगा कि वह कितनी सीटें जीत पाते हैं.
मालूम हो कि विधानसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन करके मैदान में उतरने से हुए कांग्रेस के बुरे हश्र के बाद पार्टी में सपा से गठजोड़ को लेकर विरोधी स्वर और तेज हो गये थे.
निकाय चुनाव को लेकर पिछली 15 अप्रैल को नयी दिल्ली में और 16 अप्रैल को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय लखनऊ में जिला एवं शहर कांग्रेस अध्यक्षों की बैठक हुई थी, जिसमें मजबूती से निकाय चुनाव लड़ने की रणनीति पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया था.
गत 29 अप्रैल को नयी दिल्ली में हुई बैठक में मुख्य रूप से पार्टी अपने बलबूते पर निकाय चुनाव लड़े या गठबन्धन के साथ इस पर आपसी विचार-विमर्श हुआ था, जिसमें सर्वसम्मत से निर्णय लिया गया कि पार्टी को अकेले अपने बल पर चुनाव में उतरना चाहिए.
कांग्रेस नेतृत्व अब एक विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेगा जिसको लेकर पार्टी प्रदेश के निकाय चुनाव में आम जनता के बीच जायेगी.
ज्ञातव्य है कि सपा और कांग्रेस ने हाल में सम्पन्न विधानसभा चुनाव के लिये गठबंधन किया था. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने खुद लखनऊ में इसकी घोषणा की थी. दोनों नेताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान कई संयुक्त जनसभाओं को भी सम्बोधित किया था.
अखिलेश और राहुल ने कहा था कि उनकी पार्टियों का यह साथ लम्बा चलेगा. कांग्रेस उपाध्यक्ष के इस गठबंधन को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर महत्वपूर्ण बताने से इसके दूरगामी परिणामों की सम्भावना देखी जाने लगी थी, लेकिन चुनाव नतीजों ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
चुनाव में प्रदेश की 403 में से 298 सीटों पर चुनाव लड़ी सपा को महज 47 जबकि कांग्रेस को मात्र सात सीटें ही मिल सकी थीं. इस गठबंधन को लेकर सपा और कांग्रेस में पहले से ही मतभेद थे, जो इस बुरी हार के बाद मुखर हो गये. खासकर कांग्रेस के कई नेताओं ने सपा से गठबंधन को अपनी पार्टी की पराजय का मुख्य कारण बताया था.
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