Rajasthan में सचिन पायलट और प्रशांत किशोर के मिलन का राज क्या है?
राजस्थान में सचिन पायलट की राह आसान करेंगे प्रशांत किशोर? क्या प्रशांत किशोर के जरिए कुछ नई शुरुवात करेंगे सचिन पायलट? आजकल कुछ ऐसे ही सवाल राजस्थान की राजनैतिक गलियारों में तैर रहे हैं। कुछ दिन पहले, अपनी ही सरकार के खिलाफ एक दिन के अनशन पर बैठने वाले सचिन को पार्टी के बड़े नेताओं का साथ नहीं मिला था।
Rajasthan में सचिन पायलट और प्रशांत किशोर के मिलन का राज क्या है? |
हालांकि सचिन पायलट और वहां के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच के आपसी विवाद को सब जानते हैं, लेकिन इस बार शायद सचिन पायलट कुछ अलग तरह की तैयारियों के साथ अशोक गहलोत के सामने खड़ा होना चाहते हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सचिन पायलट नई पार्टी का गठन करके प्रशांत किशोर के सहयोग से चुनावी अखाड़े में ताल ठोंकेंगे?
यहां बता दें कि कांग्रेस ने 2018 का विधान सभा चुनाव सचिन पायलट के अध्यक्ष रहते हुए लड़ा था। उस समय राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी थी। सचिन को पूरी उम्मीद थी कि उन्हें ही राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, लेकिन पार्टी हाईकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया था। सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। उस समय तो सचिन पायलट मान गए थे, लेकिन उनकी मुख्यमंत्री बनने की चाहत ख़तम नहीं हुई थी। उन्होंने एक डेढ़ साल के बाद बगावत कर दिया था। मामला पार्टी हाईकमान के पास तक तक पहुंचा था। ऐसी भी चर्चा होने लगी थी कि सचिन पायलट पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि मामला सुलझा लिया गया था, सचिन पायलट ने उपमुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। अभी कुछ दिन पहले भी सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ़ एक दिन का अनशन किया था। उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें पार्टी का सहयोग मिलेगा लेकिन सचिन का वह दांव भी उल्टा पड़ गया था।
अब सचिन पायलट ने प्रशांत किशोर का सहारा ले लिया है। प्रशांत की कंपनी इंडियन पॉलिटिकल एक्सन कमेटी यानी आई पैक ने वहां मोर्चा संभाल लिया है। प्रशांत किशोर की टीम के सदस्य अपने 17 सवालों की एक सूची लेकर पूरे राजस्थान में एक कैम्पेन चला रहे हैं। इस कैम्पेन के जरिए आई पैक की टीम 18 वर्ष से 40 वर्ष के युवाओं से उनकी राजनैतिक रुझान का पता लगा रही है। हालांकि अभी तक यह खुलासा नहीं हो पाया है कि प्रशांत किशोर की टीम किसके लिए काम कर रही है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि सचिन पायलट ने प्रशांत किशोर की टीम को हायर कर लिया है।
राजस्थान में यह भी चर्चा है कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी के साथ सचिन पायलट की बातचीत हो चुकी है। ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि आम आदमी पार्टी सचिन पायलट का साथ दे सकती है। सचिन पायलट को लेकर तीन तरह की अवधारणा बनती हुई दिख रही है। पहली यह कि वह प्रशांत किशोर और आम आदमी पार्टी के सहयोग से नई पार्टी का गठन कर चुनाव मैदान में उतरेंगे। दूसरा यह कि कांग्रेस पर, वह खुद को चुनाव से पहले मुख्यमंत्री के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में जाने का दबाव बनाएंगे। तीसरा यह कि वह भाजपा का दामन थाम लेंगे।
भाजपा में शामिल होने वाली अटकलें गलत साबित हो सकती है ,क्योंकि अगर वह भाजपा में शामिल होते भी हैं तो भाजपा उन्हें मुख्यमंत्री के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में नहीं उतारेगी। भाजपा चुनाव के बाद भी उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी। जबकि सचिन पायलट जो कुछ भी कर रहे हैं सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री बनने के लिए कर रहे हैं।फिलहाल इस साल के अंत में राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव का संग्राम कुछ अलग ही होगा। सचिन पायलट का रुख तय करेगा कि इस बार राजस्थान का चुनाव कैसा होगा।
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