गहलोत बनाम सचिन: राजस्थान में न हो जाएं कांग्रेस के लिए पंजाब जैसे हालात !
राजस्थान विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने एक बार फिर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ खड़े हो गए हैं। राजस्थान में न हो जाएं कांग्रेस के लिए पंजाब जैसे हालात!
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कांग्रेस पार्टी की चेतावनी को दरकिनार करते हुए मंगलवार को जयपुर के शहीद स्मारक के पास सचिन पायलट एक दिन का अनशन पर बैठ गए हैं। उनके समर्थकों का हुजूम है।
कांग्रेस पायलट के इस कदम को पार्टी विरोधी गतिविधि बता रही है। अब देखना होगा कि इस ऊथल-पुथल का राजस्थान की राजनीति में इसका क्या असर होता है।
बता दें कि यह अनशन पायलट ने वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में हुए कथित भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर किया है। उन्होंने रविवार को प्रैस कॉन्फ्रैंस कर इसकी जानकारी मीडिया को दी थी।
उल्लेखनीय है कि ये पहली बार नहीं है जब पायलट और गहलोत की यह लड़ाई सुर्खियों में आई है। इससे पहले भी 2018 से लेकर अब तक कईं मौकों पर दोनों आमने-सामने हुए हैं।
गहलोत ने तो पायलट को 'गद्दार' तक कह डाला जबकि पायलट ने इसका जवाब शालीनता से ही दिय़ा। बल्कि इस पर मचे विवाद पर वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने दोनों नेता (गहलोत और पायलट) को कांग्रेस की संपत्ति बताया जो उस वक्त भारत जोड़ो यात्रा पर थे। मीडिया से लेकर सियासी गलियारों में इसी बात को लेकर चर्चा भी थी कि भारत जोड़ने से पहले राहुल को राजस्थान में कांग्रेस को जोड़ना चाहिए।
बता दें कि भारत जोड़ो यात्रा में गहलोत और पायलट दोनों ही शामिल हुए थे। और मीडिया की तस्वीरों से भी लग रहा था कि राजस्थान कांग्रेस में सब कुछ ठीक है।
अब राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट एक बार फिर मुख्यमंत्री गहलोत के विरोध में उतर आए हैं। रविवार को पायलट ने गहलोत पर कई गंभीर आरोप लगाए।
इस समय राजस्थान कांग्रेस दो खेमों में बंटा हुआ नजर आ रहा है। एक खेमा गहलोत को ही सीएम के रूप में देखना चाहती है तो दूसरा पायलट को, जो खुद भी मुख्यमंत्री बनने की चाह दिल में रखते हैं।
पायलट खेमे के अनुसार राजस्थान में हर 5 साल में सरकार बदल जाती है। सीएम रहते हुए गहलोत खुद 2 बार चुनाव हार चुके है। ऐसे में अगर चुनाव जीतना है तो मुख्यमंत्री बदला जाए।
पंजाब की याद दिला रही राजस्थान की लड़ाई
याद हो कि राजस्थान कांग्रेस की कलह पिछले साल पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह और तत्कालिन कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच की लड़ाई याद दिला रही है। जहां सिद्धू खुद सीएम बनना चाहते थे। खबरों की मानें तो राहुल और प्रियंका भी कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाना चाहते थे। आखिर कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया, नाराज अमरिंदर ने पार्टी छोड़ अपनी नई पार्टी बना ली। इसके बाद चुनाव में प्रदेश से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। इस पूरी घटना के बाद पंजाब में कांग्रेस घाटे में रही।
ठीक इसी तरह से आज राजस्थान में पंजाब जैसे हालात बन गए हैं। और अब ये तो समय ही बताएगा कि पायलट के विरोधी तेवर और आज के उनके अनशन से क्या राजस्थान में भी कांग्रेस का हश्र पंजाब वाला तो नहीं होने वाला है।
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